सशस्त्र बल झंडा दिवस भारत में 7 दिसम्बर, 1949 से मनाया जा रह है, यह दिन लोगों से धन का संग्रह की दिशा में समर्पित है। एकत्रित धन का उपयोग सशस्त्र कर्मियों, पूर्व सैनिकों के कल्याण और युद्ध के हताहतों के पुनर्वास के लिए किया जाएगा।
इतिहास
जैसे ही भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, भारत सरकार के लिए रक्षा कर्मियों के कल्याण का प्रबंधन करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। 1949 में तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने 7 दिसंबर को प्रतिवर्ष झंडा दिवस मनाने की सिफारिश की। सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर जनता द्वारा किए गए दान के बदले आम जनता को छोटे झंडे वितरित किए जाएंगे।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का मुख्य उद्देश्य क्या है?
सशस्त्र सेना झंडा दिवस मुख्य रूप से सेवारत कर्मियों और उनके परिवारों के कल्याण, युद्ध में हताहतों के पुनर्वास और पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के पुनर्वास पर केंद्रित है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष
1949 में बलदेव सिंह समिति ने झंडा दिवस कोष की स्थापना की। 1993 में, भारत के रक्षा मंत्रालय ने संबंधित कल्याण कोष को सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में समेकित किया। इनमें फ्लैग डे फंड, युद्ध शोक संतप्त, भूतपूर्व सैनिकों और युद्ध विकलांगों के लिए समामेलित विशेष कोष, भारतीय गोरखा भूतपूर्व सैनिक कल्याण कोष और केंद्रीय सैनिक बोर्ड कोष शामिल हैं।
फंड कौन जमा करता है?
रक्षा मंत्रालय के तहत संचालित केंद्रीय सैनिक बोर्ड धन एकत्र करता है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज
राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग शक्ति को दर्शाता है, ध्वज के बीच में सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है और हरा रंग विकास, उर्वरता और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। बीच में गहरा नीला चक्र अशोक चक्र है। इसमें 24 तीलियाँ हैं जो 24 जीवन सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करती हैं।