सरकार ने राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन की शुरुआत की, 2022 तक सभी गांवों को ब्रॉडबैंड इन्टरनेट का लक्ष्य
सरकार ने 17 दिसम्बर को राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (NBM) की शुरुआत की. इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक सभी गांवों को ब्रॉडबैंड इन्टरनेट उपलब्ध कराना है. केंद्रीय संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस मिशन का शुभारंभ किया. इसके तहत मोबाइल और इंटरनेट की सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने का भी लक्ष्य है.
इस मिशन के तहत देशभर, विशेषरूप से ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में सार्वभौमिक और समानता के आधार पर ब्रॉडबैंड पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी. इसके तहत 30 लाख किलोमीटर का अतिरिक्त आप्टिकल फाइबर केबल मार्ग बिछाया जाएगा. साथ ही 2024 तक देश में टावरों की संख्या मौजूदा 5.65 लाख से बढ़कर 10 लाख हो जाएगी और टावर का घनत्व 0.42 से बढ़ाकर 1.0 टावर प्रति हजार आबादी किया जाएगा. इस मिशन के तहत टावरों का ‘फाइबराइजेशन’ बढ़कर 70 प्रतिशत तक हो जाएगा, जो अभी 30 प्रतिशत है.
इस मिशन के जरिये शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यमिता और विकास के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी ढांचे को मजबूत किया जा सकेगा. इस मिशन के तहत संबद्ध पक्ष आगामी वर्षों में 100 अरब डॉलर (सात लाख करोड़ रुपये) का निवेश करेंगे. इसमें 70,000 करोड़ रुपये यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन फंड (ISOF) से उपलब्ध कराया जाएगा.
भारत ने जमीन से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 दिसम्बर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया. इस परीक्षण में मिसाइल के जमीन (सतह) संस्करण का परीक्षण किया गया.
ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि
- ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्टर सुधीर कुमार हैं.
- ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
- 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
- यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
- इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
- ब्रम्होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्त उद्यम ने किया है.
- ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
- इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
- इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
- जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 112वें स्थान पर, आईसलैंड शीर्ष पर
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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने 17 दिसम्बर को ‘ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स’ (Global Gender Gap Index) 2020 पर एक रिपोर्ट जारी किया. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 153 देशों के बीच भारत को 112वां स्थान मिला है. पिछले वर्ष के रिपोर्ट में भारत 108वें स्थान पर था.
इस रिपोर्ट के अनुसार आईसलैंड सबसे बेहतर देश है, जहां कोई लिंग आधारित भेदभाव नहीं है. इसके बाद नार्वे, फिनलैंड, स्वीडेन व निकारगुआ हैं. वहीँ यमन सबसे अंतिम 153वें स्थान पर, ईराक 152वें स्थान पर और पाकिस्तान 151वें स्थान पर है. आइसलैंड 11वीं बार पहले स्थान पर बना हुआ है. इस रिपोर्ट में बांग्लादेश को 50वां स्थान मिला है और दक्षिण एशिया क्षेत्र में सबसे आगे है.
रिपोर्ट के इस वर्ष के संस्करण में 153 देश को शामिल किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया क्षेत्र अपने लिंग अंतर में दो-तिहाई के करीब है. अगर बीते 15 सालों की प्रगति की दर जारी रही तो लिंग अंतर को भरने में 71 साल लगेंगे.
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट: एक दृष्टि
- ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट वर्ष 2006 से जारी किया जा रहा है.
- इस रिपोर्ट में चार प्रमुख आयामों- आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक उपलब्धि, स्वास्थ्य और जीवन रक्षा, और राजनीतिक सशक्तीकरण को लेकर लिंग आधारित अंतर की सीमा को मापा जाता है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने 17 दिसम्बर को ‘ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स’ (Global Gender Gap Index) 2020 पर एक रिपोर्ट जारी किया. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 153 देशों के बीच भारत को 112वां स्थान मिला है. पिछले वर्ष के रिपोर्ट में भारत 108वें स्थान पर था.
इस रिपोर्ट के अनुसार आईसलैंड सबसे बेहतर देश है, जहां कोई लिंग आधारित भेदभाव नहीं है. इसके बाद नार्वे, फिनलैंड, स्वीडेन व निकारगुआ हैं. वहीँ यमन सबसे अंतिम 153वें स्थान पर, ईराक 152वें स्थान पर और पाकिस्तान 151वें स्थान पर है. आइसलैंड 11वीं बार पहले स्थान पर बना हुआ है. इस रिपोर्ट में बांग्लादेश को 50वां स्थान मिला है और दक्षिण एशिया क्षेत्र में सबसे आगे है.
रिपोर्ट के इस वर्ष के संस्करण में 153 देश को शामिल किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया क्षेत्र अपने लिंग अंतर में दो-तिहाई के करीब है. अगर बीते 15 सालों की प्रगति की दर जारी रही तो लिंग अंतर को भरने में 71 साल लगेंगे.
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट: एक दृष्टि
- ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट वर्ष 2006 से जारी किया जा रहा है.
- इस रिपोर्ट में चार प्रमुख आयामों- आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक उपलब्धि, स्वास्थ्य और जीवन रक्षा, और राजनीतिक सशक्तीकरण को लेकर लिंग आधारित अंतर की सीमा को मापा जाता है.
भारत-नेपाल सेना के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’ का आयोजन नेपाल के रूपदेही में किया गया
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भारत-नेपाल सेना के बीच संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’ का आयोजन नेपाल के रूपदेही जिले में 3 से 16 दिसम्बर तक किया गया. यह दोनों देशों के मध्य होने वाला ‘सूर्य किरण’ का 14वां संयुक्त सैन्य अभ्यास था. इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों की सेना की 300-300 सैन्य कर्मियों की एक-एक टुकड़ी ने हिस्सा लिया.
यह युद्धाभ्यास जंगल और पहाड़ी इलाकों में विद्रोह कार्रवाइयों से निपटने पर आधारित था. इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं आतंकवाद विरोधी अभियान, विद्रोह के खिलाफ कार्रवाई, प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं के दौरान की जाने वाली मानवीय सहायता के अपने-अपने अनुभवों को साझा किया.
भारत-नेपाल संयुक्त युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’: एक दृष्टि
- सूर्य किरण सैन्य संयुक्त युद्धाभ्यास आतंकवाद के बदलते तरीकों के खिलाफ सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए किया जाता है.
- इसका मुख्य उद्देश्य नेपाल और भारतीय सैनिकों में आपसी सैन्य समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में सफल संचालन के लिए दोनों देशों की सेना के बीच समन्वय स्थापित करना है.
- इस युद्धाभ्यास का आयोजन साल में दो बार बारी-बारी से दोनों देशों में होता है
- भारत-नेपाल सेना के बीच संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’ का आयोजन नेपाल के रूपदेही जिले में 3 से 16 दिसम्बर तक किया गया. यह दोनों देशों के मध्य होने वाला ‘सूर्य किरण’ का 14वां संयुक्त सैन्य अभ्यास था. इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों की सेना की 300-300 सैन्य कर्मियों की एक-एक टुकड़ी ने हिस्सा लिया.यह युद्धाभ्यास जंगल और पहाड़ी इलाकों में विद्रोह कार्रवाइयों से निपटने पर आधारित था. इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं आतंकवाद विरोधी अभियान, विद्रोह के खिलाफ कार्रवाई, प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं के दौरान की जाने वाली मानवीय सहायता के अपने-अपने अनुभवों को साझा किया.भारत-नेपाल संयुक्त युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’: एक दृष्टि
- सूर्य किरण सैन्य संयुक्त युद्धाभ्यास आतंकवाद के बदलते तरीकों के खिलाफ सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए किया जाता है.
- इसका मुख्य उद्देश्य नेपाल और भारतीय सैनिकों में आपसी सैन्य समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में सफल संचालन के लिए दोनों देशों की सेना के बीच समन्वय स्थापित करना है.
- इस युद्धाभ्यास का आयोजन साल में दो बार बारी-बारी से दोनों देशों में होता है