
अंतर्राष्ट्रीय सोलर गठबंधन की शुरुआत भारत और फ्रांस ने मिलकर नवम्बर 2015 में COP 21 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान की थी। इसका फ्रेमवर्क समझौता दिसम्बर, 2017 में लागू हुआ था। इसका स्थापना दिवस 11 मार्च, 2018 को मनाया गया था। इसका मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान (NISE) में स्थित है। यह ऐसी पहली अंतर्राष्ट्रीय अंतरसरकारी संधि है जिसका मुख्यालय भारत में स्थित है।
भारत की उर्जा जरुरत अभी भी ऐसे स्रोतों पर आधारित है जो कि दुबारा इस्तेमाल नही किये जा सकते हैं। इसलिए समय की मांग के अनुसार भारत को ऐसे वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों की खोज करनी होगी जो कि लम्बे समय तक इस्तेमाल किये जा सकें या अगली पीढ़ी के लिए भी काम आ सकें। भारत ने भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA) की पहल की थी। इसकी शुरुआत संयुक्त रूप से पेरिस में 30 नवम्बर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान कोप-21 (Conference of Parties-21) से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्राँस के तत्कालीन राष्ट्रपति ने की थी।
भारत के प्रधानमन्त्री मोदी जी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का पहला शिखर सम्मेलन नयी दिल्ली में 11 मार्च 2018 को आयोजित किया था।
फ़्रांस, इस अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सफल होने के लिए 2022 तक 5600 करोड़ रुपये का फंड देगा जिससे सदस्य देशों में अन्य सोलर प्रोजेक्ट शुरू किये जायेंगे।
ISA के सदस्य देशों में कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच पड़ने वाले लगभग 100 देशों में पूरे साल अच्छी धूप खिली रहती है। यदि ये देश सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा दें तो न केवल ये अपनी अधिकांश ऊर्जा ज़रूरतें पूरी कर सकेंगे, बल्कि दुनिया के कार्बन उत्सर्जन में भी जबर्दस्त कटौती देखने को मिलेगी।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन या ISA में 121 देश शामिल हैं। इनमे से लगभग 80% वे देश है जो कि कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। अर्थात ये देश सूर्य से सबसे कम दूरी पर स्थित हैं और इन देशों में साल भर सौर ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध रहती है।

ISA दुनिया के सबसे बड़े संगठनों में से एक बन गया है और इस पहल के लिए 76 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं।
- 71वां जापान
- 72वां अर्जेंटीना
- 73वां सऊदी अरब
- 74वां बोलीविया
- 75वां यूके
- 76 वां पलाऊ
ISA का उद्देश्य सौर उर्जा से परिपूर्ण देशों को एकजुट करके सौर उर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना है। बड़ी मात्रा में सौर उर्जा उत्पादन के कारण इसकी उत्पादन लागत भी कम आएगी। सौर उर्जा उत्पादन के सदस्य देशों में अनुसन्धान व विकास कार्य में मिलकर काम करेंगे।
ISA के उद्देश्य
- संयुक्त प्रयासों से सौर उर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक उपकरण व तकनीक की लागत कम करना।
- ISA का लक्ष्य 2030 तक 1 ट्रिलियन वाट (1000 गीगावाट) सौर ऊर्जा उत्पादन का है, जिस पर अनुमानतः 1 ट्रिलियन डॉलर का खर्च आयेगा।
- कर्क रेखा व मकर रेखा के बीच 121 अधिक सूर्य ताप प्राप्त करने वाले देशों को सौर उर्जा उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना।
ISA द्वारा चलाये जा रहे प्रोग्राम
ISA द्वारा चलाये जा रहे कुछ प्रोग्राम हैं – स्केलिंग सोलर मिनी ग्रिड्स; अफोर्डेबल फाइनेंस एट स्केल; स्केलिंग सोलर एप्लीकेशन्स फॉर एग्रीकल्चरल यूज़; स्केलिंग सोलर रूफटॉप इत्यादि।
भारत सरकार ने 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, बायोमास ऊर्जा से 10 गीगावाट और लघु जलविद्युत परियोजनाओं से 5 गीगावॉट शामिल है।
कैरिबियन देश, सेंट विन्सेंट एंड ग्रेनाडिन्स, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का 79वां सदस्य बन गया है।