
मुहावरे (Muhavare) भाषा को सहज और रुचिकर बनाने वाले वाक्यांश होते हैं| मुहावरों को कहावतें और लोकोक्तियाँ भी कहते हैं इनका इस्तेमाल भाषा में व्यंग के रूप में किया जाता है| मुहावरों का शाब्दिक अर्थ बहुत सरल होता है लेकिन इनका भावार्थ बहुत गूढ़ होता है| मुहावरों को उनके भावार्थ के आधार पर ही प्रयोग किया जाता है|
मुहावरे और कहावतें एक उदाहरण की तरह होती हैं जिनको भाषा में इस्तेमाल करके हम कठिन बातों को भी बड़ी सहजता के साथ दूसरों को समझा सकते हैं| आइये कुछ मुहावरे पढ़ते हैं और उनका अर्थ समझते हैं –
Sr. No. | हिंदी मुहावरे | अर्थ | वाक्य में प्रयोग |
1 | अपने पाँव में आप कुल्हाड़ी मारना | जानबूझकर मुसीबत में पड़ना | तुमने तो अपने पाँव में आप ही कुल्हाडी मारी है, अब मुझे क्यों दोष देते हो? |
2 | अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना | अलग रहना | कुछ वर्ष पहले पाकिस्तान अढ़ाई चावल की खिचडी अलग पका रहा था| |
3 | अपना सा मुँह लेकर रह जाना | किसी काम में असफल होने पर लज्जित होना | जब वह निर्दोष श्याम को मुकदमे में नहीं फसा सका तो अपना सा मुँह लेकर रह गया| |
4 | अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना | अपनी बड़ाई आप करना | अपने मुँह मियाँ मिट्लू बननेवाले को समाज में इज्जत नहीं मिलती| |
5 | अरमान निकालना | हौसला पूरा करना | बेटें की शादी में बाबू साहब ने अपने दिल के अरमान निकाले|| |
6 | अरमान रहना (या रह जाना) | इच्छा पूरी न होना | इकलौते बेटे के अचानक मर जाने से उस गरीब के सारे अरमान रह गये| |
7 | आँख उठाकर न देखना | ध्यान न देना, तिरस्कार करना | मैं उनके पास काम के लिए गया था, परंतु उन्होंने मुझे आँख उठाकर भी न देखा| |
8 | आँख का काँटा होना | खटकना, शत्रु होना | अपनी काली करतूतों के कारण वह पड़ोसियों की आँख का काँटा हो गया है| |
9 | आँख का काजल चुराना | सफाई के साथ चोरी करना | इतने लोगों के बीच से घड़ी गायब ! चोर ने तो जैसे ऑखों का काजल ही चुरा लिया है |
10 | आँख का तारा, आँख की पुतली | बहुत प्यारा | यह बच्चा मेरी आँखों का तारा है| |
11 | आँख दिखाना | क्रोध से देखना, रोकना, धमकाना | गलती भी करते हो और ऊपर से ऑखें भी दिखाते हो| |
12 | आँखों में धूल झोंकना | सरे आम धोखा देना | परीक्षक की आँखों में धूल झोंककर कुछ विद्यार्थी अच्छे अंक तो पा जाते हैं, परंतु इससे उन्हें जीवन में सफलता नहीं मिलती |
13 | आँखों पर चढ़ना | पसंद आ जाना, किसी चीज के लिए लोभ होना | तुम्हारी घड़ी चोर की आँखों पर चढ़ गयी थी, इसलिए मौका पाते ही उसने चुरा ली| |
14 | आखें फेर लेना | पहले जैसा व्यवहार न रखना | जब से उसे अफसरी मिली है, उसने माँ बाप, यार दोस्त सबसे आँखें फेर ली है |
15 | ऑखें बिछाना | प्रेम से स्वागत करना, बाट जोहना | तुम्हारी राह में आँखें बिछाये कय से बैठा हूँ तुम जल्द आ जाओ |
16 | आँख में पानी न होना | बेहया, बेशर्म होना | बेईमान लोगों की आँखों में पानी नहीं होता |
17 | आँखों में खून उतरना | अत्यधिक क्रोध होना | जयचंद को देखते ही महाराज पृथ्वीराज की आँखों में खून उतर आया |
18 | आँखों में गड़ना (या चुभना) | बुरा लगना, पसंद आना | तुम्हारी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है, इसे तुम मुझे दे दी |
19 | आँखों में चरबी छाना | घमंड होना | दौलत हाथ में आते ही उसकी आँखों में चरबी छा गयी और वह अपने रिश्तेदारों से बुरा व्यवहार करने लगा |
20 | आँखे लाल करना | क्रोध से देखना | आँखें लाल मत करो, इससे मैं डरनेवाला नहीं |
21 | आँखे सेंकना | दर्शन का सुख उठाना | बहुत से नवयुवक तो मेले ठेले में सिर्फ आँखे सेंकने ही आते हैं |
22 | आँच न आने देना | थोड़ा भी आघात न होने देना | इस झमेले में मेरे दोस्त रवि ने मुझ पर जरा सी भी आँच न आने दी |
23 | आटे दाल का भाव मालूम होना | कठिनाइयों का ज्ञान होना | तुम्हारे ऊपर जब जिम्मेवारियाँ आयेंगी तभी तुम्हें ऑटे दाल का भाव मालूम होगा |
24 | आँसू पीकर रह जाना | दु:ख अपमान को बर्दास्त कर लेना | सबके सामने जली कटी सुनकर भी वह आँसू पीकर रह गया |
25 | आकाश के तारे तोड़ लाना | असंभव काम करना | तुम्हें नौकरी क्या मिली, लगता है आकाश के तारे तोड़ लाये हो |
26 | आकाश पाताल एक करना | खूब परिश्रम करना | तुम्हें नौकरी दिलाने के लिए विकास ने आकाश पाताल एक कर दिया था |
27 | आग पर पानी डालना | शांत करना | दोनों मित्रों के बीच काफी गरमा गरमी हो गयी थी, पर दीदी की बातों ने आग पर पानी डाल दिया |
28 | आग में घी डालना | झगड़ा बढ़ाना | रमेश, तुम गोवर्धन की बातों में मत आना, उसका तो काम ही है आग में घी डालना |
29 | आग में कूदना | जानबूझकर मुसीबत में पड़ना | साहसी व्यक्ति खतरों से डरते नहीं, वे आग में भी कूद पड़ते हैं |
30 | आग बबूला होना | बहुत क्रुध होना | राम की अनाप शनाप बातें सुनकर मोहन आग बबूला हो गया |
31 | आग लगने पर कुआँ खोदना | विपत्ति आ जाने पर प्रतिकार का उपाय खोजना | बीमारी की इस अंतिम अवस्था में दूर शहर से डॉक्टर बुलाने की बात सोचना आग लगने पर कुआँ खोदने जैसा है |
32 | आटा गीला करना | घाटा लगाना | औने पौने दामों में इन्हें बेचकर क्यों अपना आटा गीला कर रहे हो ? |
33 | आधा तीतर आधा बटेर | बेमेल, बेढंगा | पश्चिमी सभ्यता ने भारतीय सभ्यता संस्कृति को आधा तीतर आधा बटेर बना दिया है |
34 | आपे से बाहर होना | क्रोधित होना | इतनी सी बात प ही मास्टर साहब आपे से बाहर |
35 | आबरू पर पानी फिरना | प्रतिष्ठा नष्ट होना | तुम्हारी बेवकूफी के कारण ही मेरी आबरू पर पानी फिर गया |
36 | आवाज उठाना | विरोध करना | सरकार के खिलाफ आवाज उठाना एक साधारण बात हो गयी है |
37 | आसमान सिर पर उठाना | उपद्रव करना | इतनी छोटी सी बात पर उसने आसमान सिर पर उठा लिया था |
38 | आसमान से बातें करना | बहुत ऊँचा होना | देवघर के मंदिर का शिखर आसमान से बातें कर रहा है |
39 | आस्तीन का साँप | मित्र के रूप में शत्रु | उस पर कभी भरोसा मत करना, वह तो आस्तीन का साँप है |
40 | इधर उधर करना | टालमटोल करना | अब ज्यादा इधर उधर करना बंद करो, चुपचाप मेरी पुस्तक मुझे लौटा दो |
41 | इधर की दुनिया उधर होना | अनहोनी बात होना | चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाय, मैं तुम्हारे यहाँ नहीं जानेवाला हूँ |
42 | इधर की उधर करना | चुगली करना | उसके सामने यह सब क्यों कहते हो ? उसकी तो आदत ही है इधर की उधर करने की |
43 | ईट से ईट बजान | अंतिम दम तक लड़ना, बर्बाद करना | मैं उसकी ईंट से ईट बजा ट्रॅगा, पर हार नहीं मानूगा |
44 | ईंट का जवाब पत्थर से देना | दुष्टों के साथ दुष्टता का व्यवहार करना | वे लोग हमारे आदमियों को पीटकर तीसमार खाँ बने घूमते हैं, पर यह नहीं जानते कि हमें भी ईंट का जवाब पत्थर से देना आता है |
45 | ईद (दूज) का चाँद होना | मुश्किल से दिखाई देना | बहुत दिनों से मिले नहीं मोहन, तुम तो आजकल ईद का चाँद हो गये हो |
46 | उड़ती खबर | अफवाह | यह उड़ती खबर है, इस पर विश्वास पत करना |
47 | उल्लू का पट्ठा | निरा बेवकूफ | उस जैसा उल्लू का पट्ठा भी कहीं अक्ल से काम लती हैं | |
48 | उल्लू बनाना | बेवकूफ बनाना | उसे तुम उल्लू नहीं बना सकते, वह बड़ा चतुर है |
49 | उल्लू सीधा करना | काम निकालना | नेताजी की खुशामद करके आखिर उसने अपना उल्लू सीधा कर ही लिया |
50 | उधेड़बुन में पड़ना | सोच विचार में पड़ना | अचानक किसी समस्या के आ जाने पर कोई भी व्यक्ति उधेड़ बन में पड़ जाता है |
51 | उल्टी गंगा बहाना | असंभव काम करना | इस गदहे को पढ़ाना उल्टी गंगा बहाने के समान है |
52 | उल्टे अस्तुरे से मूड़ना | मूर्ख बनाकर ठगना | उस ठग ने आज मुझे उल्टे अस्तुरे से मूड़ लिया |
53 | उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना | थोड़ा सा लेकर पूरा लेने की इच्छा करना | ‘मोहनलाल से सावधान रहना ही अच्छा है, वह उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़नेवाला आदमी है |
54 | उँगली पर नचाना | वश में करना | आपके अधीन हूँ इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर समय मुझे ऊँगली पर नचाते रहें |
55 | न उधी का लेना न माधो का देना | किसी से कोई संबंध नहीं रखना | चाहे जो कहो, श्याम है खरा आदमी वह न ऊधी का लेता है न माधी को देता है |
56 | एँड़ी चोटी का पसीना एक करना | बहुत मेहनत करना | इस काम को समय पर पूरा करने के लिए उसे एँड़ी चोटी का पसीना एक करना पड़ा है |
57 | एक आँख न भाना | जरा भी अच्छा न लगना | अपनी बेटी के साथ तुम्हारा ऐसा दुव्र्यवहार मुझे एक आँख भी नहीं भाता है |
58 | एक एक ग्यारह होना | एकता के सूत्र में बँधकर शक्तिशाली होना | शत्रुओं ने दोनों भाइयों को खूब सताया, लेकिन अब वे दोनों भाई मिलकर एक एक ग्यारह हो गये हैं अब वे अपने शत्रुओं का डटकर मुकाबला करेंगे |
59 | एक टाँग (पैर) पर खड़ा रहना | काम करने के लिए सदा तैयार रहना | जब तक बहन की शादी सम्पन्न नहीं हुई, भूषण एक टाँग पर खड़ा रहा |
60 | एक लाठी से हाँकना | सबके साथ एकसमान व्यवहार करना | सबको एक लाठी से हाँकना बुद्धिमानी नहीं है |
61 | एक हाथ से ताली न बजना | बिना सहयोग के काम का नहीं होना | एक हाथ से ताली नहीं बजती, गलती दोनों ने की है |
62 | ऐसी तैसी करना | बेइज्जत करना | सब के सामने ही देवेंद्र ने अपने बड़े भाई की ऐसी तैसी कर दी |
63 | ओखल में सिर देना | जान बूझकर मुसीबत में पड़ना | जब ओखल में सिर दे दिया है, तब मूसल की क्या परवाह |
64 | औधी खोपड़ी का होना | मूर्ख होना | उसे समझाना ही बेकार है, वह बिल्कुल औधी खोपड़ी का आदमी है |
65 | औधे मुँह गिरना | बुरी तरह धोखा खाना | इस बार की खरीदारी में बेचारे की एक न चली, उलटे वह औधे मुँह गिरा |
66 | कटक बनना | बाधक होना | तुम तो मेरे हर काम में कटक बन जाते हो |
67 | ककड़ी खीरा समझना | महत्वहीन समझना | वे गरीब हैं तो क्या हुआ, आदमी तो हैं, उन्हें तुम ककड़ी खीरा मत समझा करो |
68 | कटे (जले ) पर नमक छिड़कना | दु:ख बढ़ाना | बेचारी एक तो ऐसे ही दुखों से |
69 | कफन सिर से बाँधना | मौत या खतरे की परवाह नहीं करला | बहुतेरे नवयुद्ध कफन सिर से बाँधकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे |
70 | कमर कसना | तैयार होना | यदि युद्ध में विजय चाहते हो तो मरने मारने के लिए कमर कस लो |
71 | कमर टूटना | उत्साहहीन होना, असहाय होना | सीमा संघर्ष में अपने सैनिक साज सामान को बर्बाद होते देखकर पाकिस्तानी फौज की कमर ही टूट गयी |
72 | कलेजा का टुकड़ा | बहुत प्यारा | सौमित्र अपनी माँ के कलेजे का टुकड़ा था |
73 | कलेजा चीरकर दिखाना | पूरा विश्वास देना, कोई कपट न रखना | तुम्हारे लिए दिल में कितना प्यार है, यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ |
74 | कलेजा टूक टूक होना | बहुत दु:ख होना | कैकेयी की बात सुनते ही महाराज दशरथ का कलेजा टूक टूक हो गया |
75 | कलेजा ठंढा होना | संतोष होना | राम के वन जाते ही दासी मंथरा का कलेजा ठंढा हा गया |
76 | कलेजा थामकर रहना | मन मसोसकर रहना | परशुराम की जली कटी बातें सुनकर लक्ष्मण को बहुत क्रोध हुआ, किंतु श्री राम के समझाने बुझाने पर वे कलेजा थामकर रह गये |
77 | कलेजा निकालकर रख देना | सच्ची बात कह देना | मैंने कलेजा निकालकर रख दिया, फिर भी तुम्हें विश्वास नहीं होता ? |
78 | कलेजा मुँह को आना | घबराना | उसकी विपत्ति की कहानी सुनकर कलेजा मुँह को आ जाता है |
79 | कलेजे पर साँप लोटना | ईष्या या जलन होना | मेरी तरक्की देखकर उसके कलेजे पर साँप लौट गया है, इसलिए उसने मेरे बारे में गलत प्रचार करना शुरू कर दिया है |
80 | काठ की हाँड़ी | अस्थायी चीज | इस बार तो तुम्हारी चाल सफल हो गयी, लेकिन काठ की हाँडी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती |
81 | कान ऐंठना | सुधरने की प्रतिज्ञा करना | मैं कान ऐंठता हूँ कि अब ऐसे गलत काम कभी नहीं करूंगा |
82 | कान काटना | मात करना | बुद्धि में तो वह वृहस्पति के भी कान काटता है |
83 | कान पर जूं न रेंगना | कुछ भी ध्यान न देना | मैं इतनी देर से चिल्ला रहा हूँ, लेकिन तुम्हारे कान पर जू तक नहीं रेंगती |
84 | कान भरना | शिकायत करना | आज कई दिनों से वह मुझसे बात तक नहीं करता, लगता है कि किसी ने मेरे विरुद्ध उसके कान भर दिये हैं |
85 | कान में तेल डालकर बैठना | ध्यान न देना | इतनी देर से बुला रहा था, लेकिन तुम तो कान में तेल डालकर बैठे थे |
86 | काम आना | वीरगति को प्राप्त होना | नेप्फा की लड़ाई में चीन के बहुतेरे सिपाही काम आये |
87 | काम तमाम करना | मार डालना | शिवाजी ने अपने बघनखे से अफजल खाँ का काम तमाम कर दिया |
88 | कीचड़ उछालना | निंदा करना, बदनाम करना | भले आदमियों पर व्यर्थ कीचड़ उछालने की तो उसकी पुरानी आदत है |
89 | कील काँटे से दुरुस्त होना | अच्छी तरह से तैयार होना | आज मैं अपना काम पूरा था किये बगैर नहीं रहूँगा, क्योंकि आज मैं कील काँटे से दुरुस्त होकर आया हूँ |
90 | कुएँ में भाँग पड़ना | सब की बुद्धि मारी जाना | किस किस को समझाया जाय यहाँ तो कुएँ में ही भाँग पड़ी है |
91 | कुत्ते की मौत मरना | बुरी तरह मरना | अगर तुम्हारी ऐसी ही आदतें बनी रहीं, तो तुम कुत्ते की मौत मरोगे |
92 | कुम्हड़े की बतिया | कमजोर आदमी | रमेश ने नरेश को बिल्कुल कुम्हड़े की बतिया ही समझ लिया है, बात बात में उसे धमकाते रहता है |
93 | कुहराम मचाना | खूब रोना पीटना | बंगाली बाबू की मौत की खबर आते ही उनके घर में कुहराम मच गया |
94 | कौड़ी का तीन होना | बहुत सस्ता होना, बेकदर होना | तुम जैसे आवारा के साथ रहकर वह भी कौड़ी का तीन हो गया |
95 | खबर लेना | दंड देना, देखभाल करना | रामप्रसाद, तुम्हारी काफी शिकायतें सुनने को मिल रही हैं, आज शाम को मैं तुम्हारी खबर लुंगा |
96 | खाक उड़ाते फिरना | भटकना | अपनी सारी जमा पूँजी बर्बाद करके अब वह खाक उड़ाते फिर रहा है |
97 | खाक में मिलना | बर्बाद हो जाना | खुदा की बुराई करोगे तो खाक में मिल जाओगे |
98 | खिलखिला पड़ना | खुश होना, खुलकर हँस पड़ना | खिलौनों को देखते ही गुड़िया रानी खिलखिला पडी |
99 | खुशामदी टट्टू होना | चापलूस होना | तुम्हारी क्या तुम तो खुशामदी टट्टू हो, किसी न किसी तरह अपना काम करवा ही लोगे |
100 | खून की नदी बहाना | बहुत मार काट करना | क्रूर नादिरशाह ने दिल्ली में खून की नदी बहा दी थी |
101 | खून खौलना | बहुत क्रोध होना | दु:शासन द्वारा द्रौपदी को अपमानित होते देखकर भीम का खून खौलने लगा |
102 | खेत आना | लड़ाई में मारा जाना | 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के हजारों सैनिक खेत आये |
103 | ख्याली पुलाव पकाना | बेसिर पैर की बातें करना, असंभवं बातें सोचना | कुछ काम भी करोगे या सिर्फ ख्याली पुलाव ही पकाते रहोगे ? |
104 | गड़े मुर्दे उखाड़ना | पुरानी बातें सामने लाना | मेरा काम गड़े मुर्दे उखाड़ना नहीं है, लेकिन पूरी बात समझाने के लिएँ इस घटना का इतिहास तो मुझे बताना ही होगा |
105 | गड्ढे खोदना | दूसरे के नुकसान के लिए जाल बिछाना | जो दूसरों के लिए गड्ढे खोदता है, वह उसमें खुद गिरता है |
106 | गहरी छनना | गाढ़ी मित्रता होना | इन दिनों राम और श्याम में गहरी छन रही है |
107 | गाँठ बाँधना | अच्छी तरह याद रखना | पिताजी की सीख गाँठ बाँध लो, नहीं तो बाद में बहुत पछताओगे गाँठ का पूरा होना |
108 | गिरगिट की तरह रंग बदलना | बहुत जल्दी जल्दी विचार बदलना | उसकी बात का क्या भरोसा ? वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहता है |
109 | गुड़ गोबर करना | बना बनाया काम बिगाड़ देना | बड़ी मुश्किल से मैंने उसे इस काम के लिए तैयार किया था, लेकिन तुम्हीं ने आकर सारा गुड गोबर कर दिया |
110 | गुल खिलाना | अनोखे काम करना | ऐन मौके पर उसने ऐसा गुल खिलाया कि लोगों के होश गुम हो गये |
111 | गाजर मूली समझना | छोटा या कमजोर समझना | हम अपने दुश्मनों को गाजर मूली समझते हैं |
112 | गोटी लाल होना | लाभ होना | तुम्हारी क्या, अब तो तुम्हारी गोटी लाल हो रही है |
113 | गोली मारना | उपेक्षा से त्याग देना | बेकार की बातों की गोली मरो, अपने काम में मन लगाओ |
114 | गोलमाल करना | गड़बड़ करना | बड़ा बाबू आफिस में बहुत दिनों से कुछ गोलमाल कर रहे थे, आज पकड़ में आये हैं |
115 | घड़ों पानी पड़ जाना | अत्यधिक शर्मिदा होना | उसने काम ही ऐसा किया है कि जब भी मैं उसकी चर्चा करता हूँ, मूझ पर घड़ों पानी पड़ जाता है |
116 | घर का न घाट का | एकदम बेकार, अनुपयोगी | इधर नौकरी छूटी उधर पिताजी का साया सिर से उठ गया, बेचारा अभय अब न तो घर का रहा न घाट का |
117 | घाट घाट का पानी पीना | बहुत अनुभवी होना | रघु को ठगना आसान नहीं, वह घाट घाट का पानी पी चुका है |
118 | घुटना टेक देना | हार मान लेना | भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के आगे घुटने टेक दिये |
119 | घुला घुला कर मारना | परेशान करके मारना | कठोरहृदया सास ने बेचारी रमा बहू को घुला घुला कर मार डाला |
120 | घोड़ा बेचकर सोना | निश्चित होकर सोना | वह तो बिल्कुल बेखबर था, जैसे घोड़ा बेचकर सोया हो |
121 | चंगुल में आना (पड़ना) | काबू में आना | उसे पहले मेरे चंगुल में पड़ने दो, फिर देखना कैसा मजा चखाता हूँ |
122 | चडाल चौकड़ी | दुष्टों का दल, मनचलों का जमघट | वह तो अपनी चंडाल चौकड़ी में ही मस्त है, मेरी क्या खाक सुनेगा ? |
123 | चक्कर में डालना | परेशान करना | उसने मुझसे रुपये लेकर मुझे चक्कर में डाल दिया |
124 | चक्कर में आना | धोखा खाना | न जाने कैसे वह उस धूर्त के चक्कर में आ गया |
125 | चकमा देना | ठगना | नंदलाल से सावधान रहना, वह तुम्हें भी चकमा दे सकता है |
126 | चल निकलना | प्रसिद्ध होना, जम जाना | इन दिनों चुस्त पोशाक का फैशन खूब चल निकला है |
127 | चाँदी काटना | खूब कमाना, मौज करना | गल्ले के व्यापार में वे खूब चाँदी काट रहे हैं |
128 | चाँदी का जूता मारना | घूस देना | इस युग में जिसे भी चाँदी का जूता मारोगे, वही तुम्हारा काम कर देगा |
129 | छाती पर मूंग दलना | किसी के सामने ही ऐसी बात कहना, जिससे उसका जी दुखें | जितना जी चाहे मुझे सता लो, लेकिन मैं जबतक जिंदा रहूँगी, तुम्हारी छाती पर मूंग दलती रहूँगी |
130 | छाती पर साँप लोटना | ईष्या या जलन होना | दूसरे की तरक्की देख्कर उसकी छाती पर साँप लौटने लगता है |
131 | छान बीन करना | पूछताछ या जाँच करना | बहुत छान बीन करने पर भी पुलिस चोरी का सुराग नहीं पा सकी |
132 | छीछालेदर करना | हँसी उड़ाना, दुर्गति करना | आज की सभा में रामदेव बाबू ने नेताओं की खूब छीछालेदर की |
133 | छू मंतर होना | भाग जाना | पुलिस को देखते ही सारे जुआड़ी छू मंतर हो गये |
134 | जंजाल में फसना | झंझट में पड़ना | बेचारा घर गृहस्थी के जंजाल में फस गया है, अब भजन कीर्तन के लिए उसे समय कहाँ मिलता है |
135 | जख्म (जले ) पर नमक छिड़कना | दु:ख पर दु:ख देना | इन गरीबों पर और अत्याचार करके उनके जख्म (जले) पर नमक मत छिडकी |
136 | जड़ उखाड़ना | समूल नाश करना | गाँधीजी के सत्याग्रह ने ब्रिटिश साम्राज्य की भारत से जड़ उखाड़ दी |
137 | जबानी जमा खर्च करना | केवल बात करना, कुछ काम न करना | केवल जबानी जमा खर्च मत करो, कुछ काम भी किया करो |
138 | जमीन आसमान एक करना | बहुत बड़े बड़े उपाय करना | चुनावों में सफलता पाने के लिए उन्होंने जमीन आसमान एक कर दिया था |
139 | जमीन पर नाक रगड़ना | पछताना, माफी माँगना | आज चाहे जितना अकड़ लो कल तो जमीन पर नाक रगड़ोगे ही |
140 | जमीन पर पैर न रखना | बहुत घमंड करना | आजादजी जब से मंत्री बने हैं, जमीन पर पैर नहीं रखते |
141 | जलती आग में घी डालना | लड़ाई बढ़ाना | चैन सिंह को तो मुझसे पुरानी दुश्मनी थी ही, लेकिन तुमने उसे इस बात की याद दिलाकर जलती आग में घी डाल दिया है |
142 | जली कटी सुनाना | डॉट फटकार करना | गुस्सा तो मुझे बहुत दिनों से था, लेकिन कल ही वे पकड़ में आये और मैंने उन्हें खूब जली कटी सुना दी |
143 | जहर का घूंट पीना | क्रोध को दबा लेना | उसके दुव्यवहार पर मुझे गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि जहर का घूंट पीकर रह जाना पडा |
144 | जी की जी में रहना | इच्छा अधूरी रहना | मैंने अपने बेटे को खूब पढ़ाना लिखाना चाहा था, लेकिन पैसे के अभाव में मेरी जी की जी में रह गयी |
145 | जी नहीं भरना | संतोष नहीं होना | धन चाहे जितना भी मिले, पर इससे किसी का जी नहीं भरता |
146 | जी भर आना | दया होना | गरीबों को देखकर जिसका जी भर आये, वही सच्चा महात्मा है |
147 | जीती मक्खी निगलना | सरासर बेईमानी करना | वह ऐसा घाघ है कि आँखों के सामने ही जीती मक्खी निगल जाता है और किसी को पता तक नहीं चलता |
148 | जीवन दान बनना | जीवन की रक्षा करना | डॉक्टर की दवा रोगी के लिए जीवन दान बन गयी |
149 | जूतियाँ सीधी करना | बहुत खुशामद करना | यदि तुम्हें उनसे अपना काम निकालना है, तो उनकी जूतियाँ सीधी किया करो |
150 | जोर लगाना | बल प्रयोग करना | रावण ने बहुत जोर लगाया, लेकिन शिव धनुष टस से मस न हुआ |
151 | झक मारना | विवश होना, व्यर्थ समय बिताना | उसके पास मुझे सहायता के लिए झक मारकर जाना पडा |
152 | झाँसा देना | धोखा देना | लखिया ने झाँसा देकर मेरे बेटे की घड़ी हथिया ली |
153 | झाड़ फेरना | मान नष्ट करना | एक नीच आदमी से रिश्ता जोड़कर तुमने पूरे परिवार की मर्यादी पर झाड़ फेर दिया है |
154 | झाड़ मारना | तिरस्कार करना, दूर हटाना – जरा सी बात पर माँ ने उसे झाड़ मारकर बाहर निकाल दिया झूठ का पुल बाँधना | बहुत झूठ बोलना – सच्ची सच्ची बात ही कह दो, अब झूठ का पुल बाँधने से क्या फायदा ? |
155 | टक्कर लेना | मुकाबला करना | तबला वादन में कंठे महाराज से टक्कर लेना आसान नहीं था |
156 | टका सा जवाब देना | इनकार कर देना | मैं नौकरी के लिए बड़ी आशा लेकर गया था, लेकिन सेठजी ने टका सा जवाब दे दिया |
157 | टका सा मुँह लेकर रह जाना | शर्मिदा होना | पिताजी के पहुँचते ही जुआरी गजाधर टका सा मुँह लेकर रह गया |
158 | टट्टी की ओट में शिकार खेलना | छिपकर गलत काम करना | आजकल के नेता टट्टी की ओट में शिकार खेलना खूब जानते हैं |
159 | टस से मस ना होना | थोड़ा सा भी न हिलना | उसे बहुत प्रलोभन दिया गया, लेकिन वह अपनी बात से टस से मस न हुआ |
160 | टाएँ टाएँ फिस होना | असफल हो जाना | उसने योजना तो खूब सोच समझकर बनायी थी, लेकिन वह टाएँ टाएँ फिस हो गयी |
161 | टाल मटोल करना | बहाने करना | अगर मेरे रुपये वापस करना है, तो कर दो, टाल मटोल करके मुझे व्यर्थ परेशान मत करो |
162 | टूट पड़ना | वेग से धावा बोलना | शिवाजी के सैनिक अचानक बगल की पहाड़ी से निकलकर मुगल फौज पर टूट पड़े |
163 | टाँग अड़ाना | दखल देना, अडचन डालना | हर बात में टाँग अडाना मूखों का ही काम है |
164 | टेढ़ी उँगली से घी निकालना | आसानी से काम न होना | उससे कोई काम करवा लेना टेढ़ी ऊँगली से घी निकालने जैसा ही है |
165 | टेढ़ी खीर होना | मुश्किल काम | इसे सही रास्ते पर लाना टेढ़ी खीर है |
166 | ठंढा करना | शांत करना | पिताजी तो गुस्से से उबल रहे थे, बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हें समझा बुझाकर ठंढा किया है |
167 | ठंढा होना | शांत होना, मर जाना | शाइस्ता खाँ शिवाजी की चोट खाकर थोडा छटपटाया फिर एकदम ठंढा हो गया |
168 | ठकुर सुहाती करना | मुँहदेखी करना, चापलूसी करना | अफसरों की ठकुर सुहाती करके सेठजी ने काफी धन कमा लिया |
169 | ठनठन गोपाल होना | निर्धन होना | वह तो इन दिनों खुद ही ठनठन गोपाल है, उससे चंदा पाने की आशा मत करो |
170 | ठोकर खाना | नुकसान सहना, मारा मारा फिरना | क्या ऐसे ही ठोकर खाते फिरोगे या कुछ कमाने का भी उपाय करोगे ? |
171 | डंक मारना | कटु वचन कहना | उसने अपनी कड़वी बातों का ऐसा डक मारा कि मैं मर्माहत होकर रह गया |
172 | डंके की चोट पर कहना | खुल्लम खुल्ला कहना | बात सच्ची थी तभी तो डके की चोट पर कही गयी |
173 | डूबते को तिनके का सहारा होना | असहाय का कुछ भी सहारा होना | ऐसी विकट परिस्थिति में तुम्हारी यह छोटी रकम भी डूबते को तिनके का सहारा होगी |
174 | डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना | अपनी तुच्छ राय अलग रखना | यदि हम इसी प्रकार डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाते रहे, तो हममें एकता कभी भी नहीं आयेगी |
175 | ढाई दिन की बादशाहत | क्षणिक सुख | यह ढाई दिन की बादशाहत भी किस काम ‘ की, जबकि तकदीर में सारी जिंदगी दु:ख भोगना ही लिखा है |
176 | ढाक के तीन पात | सदा एक सा रहना | यह आदमी तरक्की करनेवाला नहीं है, जब भी मैंने देखा, इसे वही ढाक के तीन पात पाया |
177 | ढिंढोरा पीटना | सबको सुनाना | उसने हमारी बातें सुन ली हैं, अब पूरे गाँव में ढिंढोरा पीटता फिरेगा |
178 | ढेर करना | मार डालना | बलराम ने गदा की एक ही चोट से दुष्ट राक्षस को वहीं ढेर कर दिया | |
179 | तकदीर चमकना | भले दिन आना | बेटे की नौकरी क्या मिली, राम बाबू की तकदीर चमक गयी |
180 | तख्ता उलटना | बना बनाया काम बिगाड़ना | इस व्यवसाय में मैंने अच्छा कमाया था, लेकिन गेहूँ का सौदा करके तुमने मेरा तख्ता उलट दिया |
181 | तबीयत फड़क उठना | चित्त प्रसन्न हो जाना | पंकज उदास की गजल सुनकर मेरी तबीयत फड़क उठी |
182 | तलवार के घाट उतारना | हत्या कर देना | उस वीर ने अत्याचारी को अपनी तलवार के घाट उतार दिया |
183 | तलवे धो धोकर पीनां | बहुत अधिक खुशामद करना | वह सेठजी के तलवे धो धोकर पीता रहा, लेकिन बदले में उसे गालियाँ ही मिलीं |
184 | ताक में रहना | मौका देखते रहना | तुम सावधान रहना, इन दिनों वह तुम्हारी ही ताक में रहता है |
185 | ताना मारना | व्यंग्य करना | मेरी गरीबी पर वह नीच हमेशा ताना मारा करता है |
186 | तारे गिनना | चिंता में रात काटना | आपके इंतजार में मैं सारी रात तारे गिनता रहा |
187 | तारे तोड़ लाना | असंभव काम करना | साहसी व्यक्ति सहज ही तारे तोड लाते हैं |
188 | तिनके का सहारा | थोड़ा सा सहारा | मुझ जैसे गरीब को तो तिनके का सहारा भी बहुत होता है |
189 | तिल का ताड़ कर देना | बहुत बढ़ा चढ़ाकर कहना | जितनी बात हुई उतनी ही कहो, तिल का ताड मत करो |
190 | त्राहि त्राहि करना | रक्षा के लिए गुहार करना | जमींदारों के अत्याचार से किसान त्राहि त्राहि कर रहे थे |
191 | थुड़ी थुड़ी करना | धिक्कारना | उसके ऐसे नीच कर्म पर सभी थुड़ी थुड़ी कर रहे थे |
192 | थू थू करना | धिक्कारना | तुम्हारी नीचता की कहानी जो भी सुनेगा वही तुम पर थू थू करेगा |
193 | थूककर चाटना | वादा से मुकर जाना | तुम्हारे जैसे आदमी का क्या विश्वास? तुम तो थूककर चाटने लगते हो |
194 | थूक से सत्तू सानना | बहुत कंजूसी करना | रामजीवन से चंदा पाने की उम्मीद मत रखो, वह हमेशा थूक से सत्तू सानता है |
195 | थोथी बात होना | सारहीन बात होना | ये सब थोथी बातें हैं, इन पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा |
196 | दबी जबान से कहना | धीरे धीरे कहना | नौकर ने अपनी बात मालिक से दबी जबान से कह दी |
197 | दम भरना | भरोसा करना, हर समय किसी की तारीफ करना | वह तो हमेशा तुम्हारी दोस्ती का दम भरा करता था |
198 | दर दर मारा फिरना | दुर्दशाग्रस्त होकर घूमना | याद रखो, यदि यह नौकरी तुमने छोड़ दी, तो तुम्हें जिंदगी भर दर दर मारे फिरना होगा |
199 | दलदल में फसना | मुश्किल में पड़ना | मैं उस बदमाश की जमानत देकर दलदल में फंस गया |
200 | दाँतों उँगली दबाना (दाँत तले उँगली दबाना) | आश्चर्य करना, अफसोस करना | इस बच्चे की बातें सुनकर तो दाँतों उँगली दबाना पड़ता है |
201 | दाँतकटी रोटी होना | गहरी दोस्ती होना | नरेश और मोहन में आजकल दाँतकटी रोटी जैसा सम्बन्ध है |
202 | दाँत तोड़ना | परास्त करन | मुझसे ज्यादा उलझने की कोशिश करोगे तो मैं तुम्हारे दाँत तोड़ डालूँगा |
203 | दाँतों में तिनका लेना | अधीनता स्वीकार करना | वीर शिवाजी के वहाँ पहुँचते ही उस किले का रक्षक दाँतों में तिनका लेकर उनके सामने उपस्थित हुआ |
204 | दाई से पेट छिपाना | ऐंसी जगह भेद छिपाना जहाँ ऐसा करना संभव नहीं हो | उसने अपना भेद मुझसे कह ही दिया, भला कब तक दाई से पेट छिपाता ? |
205 | दाना पानी उठना | अन्न जल न मिलना | जब से बाबू साहब की मौत हुई है, बेचारे रघुआ का इस घर से दाना पानी उठ गया |
206 | दाने दाने को मुँहताज | भोजन न पाना, अत्यंत दरिद्र | नौकरी से हटा दिये जाने पर तो मैं दाने दाने को मुँहताज हो जाऊँगा |
207 | दाल गलना | मतलब निकलना | चाहे तुम कुछ भी करो, यहाँ तुम्हारी दाल गलने वाली नहीं है |
208 | दाल भात का कौर समझना | बहुत आसान समझना | इस काम को तुम, दाल भात का कौर मत समझ लेना |
209 | दाल में काला होना | संदेह की बात होना | तुम्हारे रंग ढंग से लगता है कि जरूर दाल में कुछ काला है |
210 | दिन दूना रात चौगुना होना (या बढ़ना) | खूब तरक्की करना | भाई, जब से तुमने गल्ले का व्यापार शुरू किया है, दिन दूना रात चौगुना होते जा रहे हो |
211 | दिल के फफोले फोड़ना | मन की भडास निकालना | साहब बीबी से झगड़कर आये थे, घर में तो चली नहीं, मुझ पर ही बिगड़कर अपने दिल के फफोले फोड़ रहे थे |
212 | दिल्ली दूर होना | लक्ष्य दूर होना | अभी तो मैट्रिक की परीक्षा में ही उत्तीर्ण हुए हो और मजिस्ट्रप्टे बनने का सपना देख रहे हो, अभी दिल्ली दूर है |
213 | दीन दुनिया भूल जान | सुध बुध भूल जाना | सच्चे महात्मा ईश्वर की साधना में डूबकर दीन दुनिया भूल जाते हैं |
214 | दीया लेकर ढूँढना | हैरान होकर ढूँढना | उसके जैसा ईमानदार नौकर तो दीया लेकर ढूँढने से भी नहीं मिलेगा |
215 | दुनिया की हवा लगना | सांसारिक अनुभव होना | जब से जुगल को दुनिया की हवा लगी है, वह मितव्ययी हो गया है |
216 | दुम दबाकर भागना | कायरतापूर्वक भागना | वह बहुत देर से शेखी बघार रहा था, लेकिन जैसे ही वहाँ मेरे आदमी पहुँचे, दुम दबाकर भाग गया |
217 | दूज (ईद) का चाँद होना | मुश्किल से दिखाई देना | यार तुम्हें देखने को तरस गया, तुम तो दूज (ईद) के चाँद हो गये हो |
218 | दूध का दूध पानी का पानी करना | पक्षपातरहित न्याय करना | महाराज हरिश्चंद्र ऐसे न्यायी थे कि चाहे जैसा भी झगड़ा हो, क्षणभर में दूध का दूध पानी का पानी कर देते थे |
219 | दूध की लाज रखना | माँ की प्रतिष्ठा रखना | युद्ध में जाते समय बेटे को आशीर्वाद देते हुए माँ ने कह, बेटा, लडाई में जीतकर मेरे दूध की लाज रखना |
220 | दूध की नदियाँ बहाना | संपन्नता की भरमार होना | प्राचीन भारत में दूध की नदियाँ बहती थी |
221 | दूध के दाँत न टूटना | अनुभवहीन होना | तुम तो कभी कभी ऐसी बातें करने लगते हो जिनसे लगता है कि अभी तक तुम्हारे दूध के दाँत न टूटे हों |
222 | दूधो नहाओ, पूतों फलो | धन और संतान की वृद्धि होना | बहू ने जैसे ही सास के पाँव छूए, उसने आशीर्वाद दिया दूधी नहाओं, पूतों फलो |
223 | दो दिन का मेहमान | शीघ्र ही मरनेवाला, या कहीं बाहर जानेवाला | चाचाजी की बीमारी बहुत बढ़ गयी है, अब तो वे दो दिन के मेहमान हैं |
224 | दो नावों पर पैर रखना | दो विरोधी काम एकसाथ करना | दो नावों पर पैर रखना सफलता से दूर भागना है |
225 | द्रविड़ प्राणायाम करना | सीधी बात को घुमा फिराकर कहना | जो कुछ कहना है सीधे सीधे कहो, द्राविड प्राणायाम मत करो |
226 | धक्का लगना | नुकसान होना, दु:ख होना | पिछले साल जूट के व्यापार में लालाजी को गहरा धक्का लगा था |
227 | धज्जियाँ उड़ाना | दुर्गति करना, दोष दिखाना | शशि बाबू ने उस धोखेबाज की ऐसी धज्जियाँ उड़ायीं कि वह अपना सा मुँह लेकर रह गया |
228 | धता बताना | टाल देना | मैं सहायता की आशा लेकर नेताजी के पास गया था, परंतु उन्होंने तो मुझे धता बता दिया |
229 | धरना देना | सत्याग्रह करना | आँदोलनकारी कर्मचारी मंत्रीजी के कार्यालय के सामने धरना दे रहे हैं |
230 | धुएँ के बादल उड़ाना | भारी गप हाँकना | उसका विश्वास कभी मत करना, धुएँ के बादल उड़ाने में वह माहिर है |
231 | धुन सवार होना | किसी काम को पूरा करने की लगन होना | इन दिनों परमेश्वर बाबू पर पैसा कमाने की धुन सवार हो गयी है |
232 | धूप में बाल सफेद करना | अनुभवहीन होना | अफसोस है कि तुम्हें इस उम्र में भी इन बातों की जानकारी नहीं है, तुमने क्या धूप में बाल सफेद किये हैं ? |
233 | धूल फाँकना | मारा मारा फिरना | पढ़ाई लिखाई छोड़कर रवींद्र इधर उधर की धूल फाँका करता है |
234 | धूल में मिलना | बर्बाद हो जाना | अपने से ताकतवर के साथ टकरानेवाले धूल में मिल जाते हैं |
235 | धोती ढीली होना | डर जाना | नये नये शिकारी का जैसे ही बाघ से सामना हुआ, उसकी धोती ढ़ीली हो गयी |
236 | धोबी का कुत्ता | बेकार आदमी | उसकी बात मत पूछो, वह तो धोबी का कुत्ता है, किसी काम का नहीं |
237 | नजर पर चढ़ना | पसंद आ जाना | लगता है तुम्हारा छाता चोर की नजर पर चढ़ गया था |
238 | नमक मिर्च लगाना | किसी बात को खूब बढ़ा चढ़ाकर कहना | उसने खूब नमक मिर्च लगाकर मेरी शिकायत पिताजी से की है |
239 | नाक कट जाना | प्रतिष्ठा नष्ट होना | तुम्हारी चोरी की इस करतूत से परिवार की नाक कट गयी |
240 | नाक का बाल होना | बहुत प्रिय होना | अपनी चतुराई के कारण ही बीरबल अकबर की नाक के बाल हो गये थे |
241 | नाकों चने चबवा देना | खूब परेशान करना | वीर शिवाजी ने छापामार युद्ध करके औरंगजेब को नाकों चने चबवा दिये थे |
242 | नाक भौं चढ़ाना | नाराज होना, घृणा प्रकट करना | गंदगी को देखकर सभी नाक भौं चढ़ाने लगते हैं |
243 | नाक में दम करना | खूब तंग करना | अपनी शैतानियों से तो इसने मेरी नाक में दम कर दिया है |
244 | नाक रगड़ना | गिड़गिड़ाना, विनती करना | तुम लाख नाक रगड़ो, लेकिन इस बार मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगा |
245 | नानी याद आना | होश उड़ जाना, हौसला पस्त होना | पुलिस को देखते ही चोरों को नानी याद आ गयी |
246 | नीचा दिखाना | अपमानित करना | आज उसने सबके सामने ही मुझे नीचा दिखाया है |
247 | नीला पीला होना | क्रोध करना | छोटी छोटी बातों के लिए बच्चों पर नीला पीला मत हुआ करो |
248 | नौ दो ग्यारह होना | भाग जाना | वह बदमाश मेरी गठरी लेकर नौ दो ग्यारह हो गया |
249 | पंचतत्व को प्राप्त करना | मृत्य होना | 30 जनवरी, 1948 ई० को गाँधीजी ने पंचतत्व को प्राप्त किया था |
250 | पगड़ी उछालना | बेइज्जत करना, हँसी उड़ाना | तुमने कल सबके सामने मेरी पगडी उछाली है, इसका बदला मैं तुमसे जरूर लूँगा |
251 | पगड़ी रखना | मर्यादा की रक्षा करना | भाई ऐसी हालत में तुम्हीं मेरी पगड़ी रख सकते हो, नहीं तो मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगा |
252 | पत्थर की लकीर | अमिट, स्थायी | मेरी बात को पत्थर की लकीर समझो |
253 | पत्थर पर दूब जमना | अनहोनी बात या असंभव काम होना | उस कजूस ने जब चंदा में एक सौ एक रुपये दे दिये तो लगा कि जैसे पत्थर पर दूब जम आयी है |
254 | पत्थर से सिर फोड़ना | असंभव बात के लिए कोशिश करना | उस मूख को समझाने की कोशिश करके क्यों पत्थर से सिर फोड़ रहे हो ? |
255 | पहाड़ से टक्कर लेना | जबर्दस्त से मुकाबला करना | काले खाँ पहलवान से भिड़ना पहाड़ से टक्कर लेना है |
256 | पाँव उखड़ जाना | हार जाना | हमारे जवानों की ललकार सुनते ही पाकिस्तानी घुसपैठियों के पाँव उखड़ गये |
257 | पाँव फूंक फूंक कर रखना | सोच समझकर काम करना | जवानी अंधी हाती है, अत: इस अवस्था में पाँव फूंक फूंक कर रखना चाहिए |
258 | पजामे से बाहर होना | कुद्ध होना, जोश में आना | नौकर ने चाय लाने में जरा देर क्या कर दी साहब पाजामें से बाहर हो गये |
259 | पानी की तरह पैसा बहाना | अंधाधुंध खर्च करना | मुफ्त की दौलत मिल गयी है तभी तो वह पानी की तरह पैसा बहा रहा है |
260 | पानी पानी होना | लज्जित होना | शराब पीते हुए अचानक अपने पिता द्वारा देख लिये जाने पर बेचारा दामोदर पानी पानी हो गया |
261 | पानी में आग लगाना | असंभव को संभव करना | उन दोनों की पक्की दोस्ती में फूट डालकर तुमने पानी में आग लगा दी है |
262 | पिल पड़ना | जी जान से लग जाना | परीक्षा में प्रथम स्थान पाने के लिए सौमित्र अपने अध्ययन में पिल पड़ा है |
263 | पीठ ठोंकना | शाबाशी देना, बढ़ावा देना | परीक्षा में प्रथम आने पर पिताजी ने मेरी पीठ ठोंकी |
264 | पीठ दिखाना | लड़ाई में भाग जाना | थोड़ी देर की लड़ाई के बाद शत्रु ने पीठ दिखा दी |
265 | पेट में चूहे दौड़ना | जोरों की भूख लगना | माँ, जल्दी से कुछ खाने को दो, पेट में चूहे दौड़ रहे हैं |
266 | पौ बारह होना | लाभ का अवसर मिलना | इस वर्ष सब्जियों के दाम में तेजी आने के करण किसानों के पौ बारह हैं |
267 | प्राण मुँह को आना | अत्यधिक कष्ट होना | जंगल में अचानक शेर की दहाड सुनते ही मेरे प्राण मुँह को आ गले |
268 | प्राणों से हाथ धोना | मर जाना | यदि मुझसे दुश्मनी करोगे तो प्राणों से हाथ धोना पडेगा |
269 | प्राण हथेली में लेना | मरने के लिए तैयार रहना | बहादुर हर समय प्राण हथेली में लिये फिरते हैं |
270 | प्राणों की बाजी लगाना | अत्यधिक साहस करना | भारत के प्रहरी सैनिक देश रक्षा में प्राणों की बाजी लगा देते हैं |
271 | पोल खोलना | रहस्य प्रकट करना | आखिर एक दिन उनके नौकर ने ही यह पोल खोल दी कि नेताजी के पास इतना पैसा कहाँ से आता है |
272 | फंदे में पड़ना | धोखे में पड़ना | तुम लाख प्रलोभन दो, लेकिन अत मैं तुम्हारे फदे में नहीं पड़नेवाला |
273 | फटेहाल होना | बुरी हालत में होना | नौकरी छूट जाने के कारण इन दिनों वह फटे हाल हो गया है |
274 | फूंक से पहाड़ उड़ाना | थोडी शक्ति से बड़ा काम करना | अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को चुनौती देकर इराक फुक से पहाड़ उड़ाना चाहता है |
275 | फूटी आँखों न भाना | अप्रिय लगना | तुम्हारी हर समय उधार माँगने की आदत मुझे फूटी आँखों भी नहीं भाती है |
276 | फूलकर कुप्पा होना | खुशी से इतराना | जब शिक्षक ने चंदन की प्रशंसा की तो वह फूलकर कुप्पा हो गया |
277 | फेर में डालना | कठिनाई में डालना | उसने चुनाव में खड़ा करके मुझे बड़े फेर में डाल दिया है |
278 | बगलें झाँकना | लज्जित होकर इधर उधर देखना | पिता जी से रंगे हाथो चोरी करते पकडे जाने पर वह बगले झाकने लगा |
279 | बट्टा लगाना | कलंक लगाना | अपना वचन तोड़कर तुमने क्षत्रियों के नाम पर बट्टा लगा दिया |
280 | बरस पड़ना | क्रोध में आकर खरी खोटी सुनाना | बच्चों की छोटी छोटी भूल पर भी बरस पड़ना बुरी बात है |
281 | बाग बाग होना | बहुत खुश होना | ‘तीसरी कसम’ फिल्म में राजकपूर का अभिनय देखकर तबीयत बाग बाग हो गयी |
282 | बाजी ले जाना | आगे निकल जाना | कल के फुटबॉल मैच में अपने कॉलेज की टीम बाजी ले गयी |
283 | बात चलाना | शुरू करना | इन दिनों मेरी बहन की शादी की बात चलायी जा रही है |
284 | बातों में आना | बात व्यवहार में धोखा खाना | न जाने उस समय मेरी बुद्धि को क्या हो गया था जो मैं उसकी बातों में आ गया |
285 | बाल बाँका न होना | कुछ भी हानि न पहुँचना | तुम्हारे आशीवाद से इस लड़ाई में मेरा बाल बाँका न होगा |
286 | बाल की खाल निकालना | निरर्थक बहस करना | हर बात में बाल की खाल निकालने की तुम्हारी तो आदत ही है |
287 | बासी कढ़ी में उबाल आना | बुढ़ापे में जवानी की उमंग उठना, समय बीत जाने पर कुछ करने की इच्छा होना | बूढ़े चट्टोपाध्याय महोदय का इस तरह से बनना सँवरना देखकर यही लगता है कि बासी कढ़ी में उबाल आ गया है |
288 | बीड़ा उठाना | किसी काम को पूरा करने का संकल्प करना | भगवान राम ने सुग्रीव की रक्षा का बीड़ा उठाया था |
289 | बुखार उतारना | क्रोध करना | बहुत मनमानी करने लगे हो, ऐसी मार मारूंगी कि बुखार उतार दूंगी |
290 | बेड़ा पार लगाना | कष्ट से उबारना | भगवान सबका बेड़ा पार लगाते हैं |
291 | बे सिर पैर की बात कहना | निरर्थक बात कहता | कुछ सोच समझकर बोला करो, बे सिर पैर की बात कहने से क्या फायदा ? |
292 | बेवक्त की शहनाई बजाना | अवसर के विरुद्ध काम करना | पूजा के अवसर पर फिल्मी गीत सुनाकर कुछ लोग बेवक्त की शहनाई बजाते हैं |
293 | बोलती बंद करना | निरुतर करना, बोलने न देना | सबके सामने पोल खोलकर शरत ने उसकी बोलती बंद कर दी |
294 | बौछार करना | अधिक मात्रा में उपस्थित करना | पुलिस ने भीड़ पर गोलियों की बौछार कर दी |
295 | भंडा फूटना | भेद खुलना – | एक न एक दिन तुम्हारे कुकर्मों का भंडा फूटेगा और तब लोग तुम पर थूकेंगे |
296 | भानुमती का पिटारा | वह पात्र, जिसमें तरह तरह की चीजें मौजूद रहती हैं | दादी के पास तो मानो भानुमती का पिटारा है, उनकी दवा पीते ही मुन्ना उछलने कूदने लगा |
297 | भार उठाना | उत्तरदायित्व लेना | इतने बड़े अनुष्ठान का भार उठाना एक अकेले के बस का नहीं है |
298 | भार उतारना | ऋण से मुक्त होना | भतीजी की शादी होते ही मेरे सिर से एक भार उतर जायगा |
299 | भूत सवार होना | सनक सवार होना | क्या तुम पर भूत सवार हो गया है, जो बच्ची को इस तरह पीट रहे हो ? |
300 | भौंह चढ़ाना | क्रोध करना | वह स्वभाव से ही क्रोधी है, छोटी छोटी बातों पर भी भौंह चढ़ा लेगा |