नम्बी नारायणन कौन हैं ?

हाल ही में ‘रॉकेटरी’ (Rocketry) नामक एक फिल्म का ट्रेलर जारी किया गया है। यह फिल्म एस. नम्बी नारायणन(Nambi Narayanan) के जीवन पर आधारित है। दरअसल नम्बी नारायणन इसरो के एक वैज्ञानिक हैं, उन पर 1994 में जासूसी का झूठा आरोप लगाया गया था। जिसके कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। बाद में 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केरल सरकार को नम्बी नारायणन को क्षतिपूर्ति के रूप में 50 लाख रुपये देने का आदेश दिया था।

इसके अलावा केरल सरकार ने उन्हें अलग से 1.3 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति प्रदान की। इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें 2019 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने इसरो के विकास इंजन के निर्माण में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


एस. नम्बी नारायणन एक वैज्ञानिक व एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। उनका जन्म 12 दिसम्बर, 1941 में तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में हुआ था। 1994 में उन पर दो मालदीवी इंटेलिजेंस अफसरों को ख़ुफ़िया जानकारी बेचने का आरोप लगाया गया था, इसमें राकेट और सैटेलाइट लांच का फ्लाइट टेस्ट डाटा शामिल होने का आरोप लगाया गया था। उनके साथ-साथ डी. ससीकुमारन पर भी यह आरोप लगाया गया था। उन दोनों पर ख़ुफ़िया जानकारी करोड़ों रुपये में बेचने का आरोप लगाया गया था। मई 1996 में सीबीआई ने उन पर लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया था। 1998 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह आरोप ख़ारिज कर दिए थे।

2001 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केरल सरकार को नम्बी नारायणन को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के लिए आदेश दिया था। वे वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हो गये।

जासूसी घटनाक्रम

नम्बी नारायण इसरो में क्रायोजेनिक्स डिवीज़न के इंचार्ज के रूप में काम कर रहे थे।

1994 में उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया उन्हें गिरफ्तार किया गया।

अप्रैल, 1996 में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने उन पर लगे आरोपों को खारिज किया।

1998 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उन्हें ‘निर्दोष नहीं’ करार दिया।

2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने नम्बी नारायणन ने उनके लिए 50 लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा की। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने नम्बी नारायणन की गिरफ्तारी में केरल पुलिस की भूमिका की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश डी.के. जैन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया।


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