HINDI QUIZ FOR RRB : 24-07-2020

Directions (1-10) नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी। गद्यांश के अनुसार, दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए।        
किसी आती हुई आपदा की भावना या दुख के कारण के साक्षात्‍कार से जो एक प्रकार का आवेगपूर्ण अथवा स्‍तंभ-कारक मनोविकार होता है उसी को भय कहते हैं। क्रोध दुख के कारण पर प्रभाव डालने के लिए आकुल करता है और भय उसकी पहुँच से बाहर होने के लिए। क्रोध दुख के कारण के स्‍वरूपबोध के बिना नहीं होता। यदि दुख का कारण चेतन होगा और यह समझा जायगा कि उसने जान-बूझकर दुख पहुँचाया है, तभी क्रोध होगा। पर भय के लिए कारण का निर्दिष्‍ट होना जरूरी नहीं; इतना भर मालूम होना चाहिए कि दुख या हानि पहुँचेगी। यदि कोई ज्‍योतिषी किसी गँवार से कहे कि ''कल तुम्‍हारे हाथ-पाँव टूट जायँगे'' तो उसे क्रोध न आएगा; भय होगा। पर उसी से यदि कोई दूसरा आकर कहे कि ''कल अमुक-अमुक तुम्‍हारे हाथ-पैर तोड़ देंगे'' तो वह तुरंत त्‍योरी बदलकर कहेगा कि ''कौन हैं हाथ-पैर तोड़नेवाले? देख लूँगा।''
भय का विषय दो रूपों में सामने आता है - असाध्‍य रूप में और साध्‍य रूप में। असाध्‍य विषय वह है जिसका किसी प्रयत्‍न द्वारा निवारण असंभव हो या असंभव समझ पड़े। साध्‍य विषय वह है जो प्रयत्‍न द्वारा दूर किया जा सकता हो। दो मनुष्‍य एक पहाड़ी नदी के किनारे बैठे या आनंद से बातचीत करते चले जा रहे थे। इतने में सामने शेर की दहाड़ सुनाई पड़ी। यदि वे दोनों उठकर भागने, छिपने या पेड़ पर चढ़ने आदि का प्रयत्‍न करें तो बच सकते हैं। विषय के साध्‍य या असाध्‍य होने की धारणा परिस्थिति की विशेषता के अनुसार तो होती ही है पर बहुत कुछ मनुष्‍य की प्रकृति पर भी अवलंबित रहती है। क्‍लेश के कारण का ज्ञान होने पर उसकी अनिवार्यता का निश्‍चय अपनी विवशता या अक्षमता की अनुभूति के कारण होता है। यदि यह अनुभूति कठिनाइयों और आपत्तियों को दूर करने के अभ्यास या साहस के अभाव के कारण होती है, तो मनुष्‍य स्तंभित हो जाता है और उसके हाथ-पाँव नहीं हिल सकते। पर कड़े दिल का या साहसी आदमी पहले तो जल्‍दी डरता नहीं और डरता भी है तो सँभल कर अपने बचाव के उद्योग में लग जाता है।
भय जब स्‍वभावगत हो जाता है तब कायरता या भीरुता कहलाता है और भारी दोष माना जाता  है, विशेषतः पुरुषों में। स्त्रियों की भीरुता तो उनकी लज्‍जा के समान ही रसिकों के मनोरंजन की वस्‍तु रही है। पुरुषों की भीरुता की पूरी निंदा होती है। ऐसा जान पड़ता है कि बहुत पुराने जमाने से पुरुषों ने न डरने का ठेका ले रखा है। भीरुता के संयोजक अवयवों में क्‍लेश सहने की आवश्‍यकता और अपनी शक्ति का अविश्‍वास प्रधान है। शत्रु का सामना करने से भागने का अभिप्राय यही होता है कि भागनेवाला शारीरिक पीड़ा नहीं सह सकता तभी अपनी शक्ति के द्वारा उस पीड़ा से अपनी रक्षा का विश्‍वास नहीं रखता। यह तो बहुत पुरानी चाल की भीरुता हुई। जीवन के और अनेक व्‍यापारों में भी भीरुता दिखाई देती है। अर्थहानि के भय से बहुत से व्‍यापारी कभी-कभी किसी विशेष व्‍यवसाय में हाथ नहीं डालते, परास्‍त होने के भय से बहुत से पंडित कभी-कभी शास्‍त्रार्थ से मुँह चुराते हैं। इस प्रकार की भीरुता की तह में सहन करने की अक्षमता और अपनी शक्ति का अविश्‍वास छिपा रहता है। भीरु व्‍यापारी में अर्थहानि सहने की अक्षमता और अपने व्‍यवसाय कौशल पर अविश्‍वास तथा भीरु पंडित में मान-हानि सहने की अक्षमता और अपने विद्या-बुद्धि-बल पर अविश्‍वास निहित है।
एक ही प्रकार की भीरुता ऐसी दिखाई पड़ती है जिसकी प्रशंसा होती है। वह धर्म-भीरुता है। पर हम तो उसे भी कोई बड़ी प्रशंसा की बात नहीं समझते। धर्म से डरनेवालों की अपेक्षा धर्म की ओर आकर्षित होनेवाले हमें अधिक धन्‍य जान पड़ते हैं। जो किसी बुराई से यही समझकर पीछे हटते हैं कि उसके करने से अधर्म होगा, उसकी अपेक्षा वे कहीं श्रेष्‍ठ हैं जिन्‍हें बुराई अच्‍छी ही नहीं लगती।  

Q1. गद्यांश के अनुसार, दुख के कारण पर प्रभाव डालने के लिए कौन आकुल करता है?
(a) ईर्ष्या
(b) दया
(c) घृणा
(d) क्रोध
(e) इनमें से कोई नहीं
d

Q2. गद्यांश के अनुसार, भय का विषय कितने रूपों में सामने आता है?
(a) इनमें से कोई नहीं
(b) तीन
(c) चार
(d) पांच
(e) दो
E

Q3. वह विषय कौन सा है, जो प्रयत्‍न द्वारा दूर किया जा सकता हो।
(a) असाध्य विषय
(b) भीरुता विषय
(c) साध्‍य विषय
(d) साहस विषय
(e) इनमें से कोई नहीं
C

Q4. गद्यांश के अनुसार, कैसा व्यक्ति पहले तो जल्‍दी डरता नहीं और डरता भी है तो सँभल कर अपने बचाव के उद्योग में लग जाता है?
 (a) कर्मठ व्यक्ति
(b) आलसी व्यक्ति
(c) साहसी व्यक्ति
(d) भीरु व्यक्ति
(e) इनमें से कोई नहीं
C

Q5. भय जब स्‍वभावगत हो जाता है तब कायरता या भीरुता कहलाता है, तब यह विशेषत: किसमे भारी दोष माना जाता  है?
(a) राजा में,
(b) साहूकारों में,
(c) महिलाओं में,
(d) इनमें से कोई नहीं
(e) पुरुषों में,
E

Q6. गद्यांश  के अनुसार, किसकी भीरुता की पूरी निंदा होती है?
(a) क्षत्रियों की भीरुता
(b) राजाओं की भीरुता 
(c) पुरुषों की भीरुता
(d) किशोरों की भीरुता
(e) इनमें से कोई नहीं
C

Q7. स्त्रियों की भीरुता तो उनकी लज्‍जा के समान ही, किसके मनोरंजन की वस्‍तु रही है?
(a) साधुओं
(b) राजभोगियों
(c) रसिकों
(d) क्षत्रियों
(e) इनमें से कोई नहीं
C

Q8. गद्यांश के अनुसार, शत्रु का सामना करने से भागनेवाला कौन सी पीड़ा नहीं सह सकता है?
(a) शारीरिक पीड़ा
(b) मानसिक पीड़ा
(c) आर्थिक पीड़ा
(d) ईर्ष्या पीड़ा
(e) इनमें से कोई नहीं
A

Q9. गद्यांश के अनुसार, किस प्रकार की भीरुता ऐसी दिखाई पड़ती है, जिसकी प्रशंसा होती है?
(a) युद्ध-भीरुता
(b) राजनीतिक-भीरुता
(c) धर्म-भीरुता
(d) स्त्री-भीरुता
(e) इनमें से कोई नहीं
C

Q10. जो किसी बुराई से यही समझकर पीछे हटते हैं कि उसके करने से अधर्म होगा, उसकी अपेक्षा कौन से व्यक्ति श्रेष्‍ठ हैं?
(a) जो बुराई से नहीं बचते हैं।
(b) जो बुराई से बचते हैं।
(c) जिन्हें बुराई अच्छी लगती है।
(d) जिन्‍हें बुराई अच्‍छी ही नहीं लगती।
(e) इनमें से कोई नहीं 

D

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