वैज्ञानिकों ने प्रमुख अंतरिक्ष घटनाओं के दौरान आयनोस्फेरिक अनियमितताओं का पता लगाया

वैज्ञानिकों ने आयनमंडलीय अनियमितताओं का पता लगाया है जो नेविगेशन सिस्टम और संचार को प्रभावित करते हैं। भूमध्य रेखा के ऊपर पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ लगभग क्षैतिज हैं।
जिसके कारण इक्वेटोरियल आयनोस्फीयर विभिन्न प्रकार की प्लाज्मा अस्थिरताओं के लिए एक तल के रूप में काम करता है जो प्लाज्मा में गड़बड़ी और प्लाज्मा अनियमितताओं का कारण बनता है।
प्रमुख बिंदु:
  • प्लाज्मा अनियमितताएं संचार और नेविगेशन प्रणालियों के लिए कई गंभीर मुद्दों का कारण बनती हैं और निगरानी कार्यों में हस्तक्षेप करती हैं और विमान, मिसाइलों और उपग्रहों के पता लगाने और ट्रैकिंग में व्यवधान उत्पन्न करती हैं।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्‍वायत्‍त संस्‍थान भारतीय भूचुम्‍बकत्‍व संस्‍थान (आईआईजी) के वैज्ञानिकों द्वारा भारत के ऊपर अंतरिक्ष मौसम के तूफानों का एक बहु-साधन आधारित आयनोस्‍फेरिक अध्ययन किया गया। इस अध्‍ययन में पाया गया कि इक्वेटोरियल स्प्रेड-एफ (ईएसएफ) अनियमितताओं और जीपीएस टिमटिमाहट भूचुम्‍बकीय तूफानों से काफी प्रभावित होते हैं जो भूचुंबकीय तूफान के आरंभ होने के समय पर निर्भर करता है।
  • एफ क्षेत्र की प्लाज्मा अनियमितताओं के कारण उत्पन्न इक्वेटोरियल स्प्रेड-एफ (ईएसएफ) एक जटिल घटना है जो इलेक्ट्रॉन और आयन घनत्वों के साथ-साथ विद्युत क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की एक विस्तृत श्रृंखला तैयार करती है।
  • रेडियो तरंगें जब आयनोस्‍फेयर से गुजरती हैं तो वे वीएचएफ और जीपीएस रिसीवर में आयनोस्फेरिक टिमटिमाहट भी उत्पन्न करते हैं।
  • वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि भूचुम्‍बकीय तूफान के दौरान सूर्यास्त के बाद पैदा होने वाले पूर्ववर्ती वि़द्युत क्षेत्र में प्री रिवर्सल इनहेंसमेंट (पीआरई) (भूमध्यरेखीय आयनोस्फीयर में सूर्यास्त के समय पश्चिमवर्ती विद्युत क्षेत्र में वृद्धि शुरू होने से पहले पूर्ववर्ती विद्युत क्षेत्र में वृद्धि) यानी विपरीत वृद्धि शुरू होने से पहले आंशिक वृद्धि होती है। इसके कारण इक्विनॉक्स और सर्दी के मौसम में कुल अवरोध के बजाय स्प्रेड-एफ में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

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