Daily CA Dose : 25-12-2019

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने को मंजूरी दी गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दी है. यह मंजूरी 24 दिसम्बर को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में दी गयी. NPR के तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा. हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा. मंत्रिमंडल ने NPR के लिए 3941.35 करोड़ रुपये के बजट आवंटन मंजूर किया है.

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) क्या है?

नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (National Population Register- NPR) जनसंख्या का रजिस्टर है. यह हर 10 वर्ष में होने वाली जनगणना का ही एक प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान कर उसका डेटाबेस बनाया जाता है. इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होती है.
NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होती है और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता है. इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है. NPR से सरकारी योजनाओं के सही लाभार्थियों की पहचान हो पाएगी और यह भी पता चल पाएगा कि योजना का लाभ उन तक पहुंच रहा है या नहीं?

16वीं जनगणना से पहले NPR तैयार किया जायेगा

भारत में अब तक 15 बार जनगणना का काम हुआ है. आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत की आठ बार जनगणना करवाई थी, फिर आजादी के बाद सात जनगणना हो चुकी है.
देश में 2021 में होने वाले 16वीं जनगणना से पहले NPR अपडेट किया जाएगा. इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी NPR को अपडेट किया गया था. असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक NPR को अपडेट करने का काम किया जाएगा.

NPR पहली बार 2004 में मंजूरी दी गयी थी

सरकार ने NPR को पहली बार 2004 में मंजूरी दी थी और 2010 की जनगणना के साथ NPR सर्वे हुआ. चूंकि जनगणना का काम हर 10 साल में होता है, इसलिए 2021 के जनगणना से पहले NPR को अपडेट किया जायेगा.

NPR और NRC में अंतर

NPR और NRC में अंतर है. NRC (National Register of Citizens) केबल भारतीय बैध नागरिकों (Citizens) के लिए है. NRC में हर व्यक्ति से प्रूफ मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारत के नागरिक हैं. इसका मकसद देश में रह रहे अवैध लोगों (घुसपैठियों) की पहचान करना है.
NPR (National Population Register) देश के जनसंख्या का रजिस्टर है. इसमें देश में रहने वाले सभी लोगों को शामिल किया जाता है और उनकी सूची तैयार की जाती है. छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NPR में पंजीकरण करना होता है.

सरकार ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने को मंजूरी दी

कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी ने 24 दिसम्बर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का नया पद बनाने को मंजूरी दी. इस पद का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है.
CDS मुख्यत: रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेगा. 1999 के करगिल युद्ध के मद्देनजर देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति ने रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में CDS की नियुक्ति का सुझाव दिया था.

अजीत डोभाल की समिति का गठन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक सैन्य सुधार की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत की तीनों सेना के लिए एक प्रमुख होगा, जिसे CDS कहा जाएगा. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद CDS की नियुक्ति के तौर-तरीकों और उसकी जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था.

CDS की भूमिका

CDS की सबसे अहम् भूमिका युद्ध के समय होगी. युद्ध के समय तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम करना CDS की जिम्मेदारी होगी. इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी.
दरअसल सशस्त्र बलों की तालमेल योजना में कई बार खामियां सामने आईं है. 1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था. उस युद्ध में भारतीय वायुसेना को कोई भूमिका नहीं दी गई थी जबकि भारतीय वायुसेना तिब्बत की पठारी पर जमा हुए चीनी सैनिकों को निशाना बना सकती थी और उनके बीच तबाही मचा सकती थी. इसी तरह से पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर हमले की योजना से अवगत नहीं कराया गया. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रहते हुए इस तरह की कोई खामी नहीं रहेगी और सेना प्रभावी ढंग से दुश्मन से निपट सकेगी.

हर्षवर्धन श्रृंगला को भारत का नया विदेश सचिव नियुक्त किया गया

अमरीका में भारतीय राजदूत हर्ष वर्धन श्रृंगला को नया विदेश सचिव नियुक्त किया गया है. 1984 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी श्री श्रृंगला वर्तमान विदेश सचिव विजय गोखले से 29 जनवरी को कार्यभार संभालेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनकी नियुक्ति की मंजूरी दी थी.
हर्षवर्धन श्रृंगला 1984 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं. इससे पहले वे बांग्लादेश और, थाईलैंड में भारतीय राजदूत तथा UNESCAP में स्थायी भारतीय प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने विदेश मंत्रालय में संयुक्त राष्ट्र राजनीतिक तथा SAARC डिवीज़न का नेतृत्व भी किया है.

झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना संपन्न, मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने इस्तीफा दिया

झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना 23 दिसम्बर को हुई. 81 सदस्‍यों की इस विधानसभा के लिए यहाँ 30 नवम्‍बर से 20 दिसम्‍बर तक पांच चरणों में मतदान हुए थे. इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्‍ट्रीय जनता दल गठबंधन ने 47 सीटें जीती हैं. इस प्रकार चुनाव पूर्व हुए इस गठबंधन ने बहुमत प्राप्त किया है. राज्य की विधानसभा में सरकार गठन को बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत है.
इस चुनाव में सत्‍ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 25 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही. गठबंधन के घटक दलों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने 30 और कांग्रेस ने 16 सीटें जीती. दूसरी ओर झारखंड विकास मोर्चा (JVM) को 3 और ऑल झारखंड स्‍टूडेंस यूनियन (AJSU) को 2 सीटों पर सफलता मिली है. राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD), राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिनवादी (CPI-ML) एक-एक सीट जीतने में सफल रही.

मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने इस्तीफा दिया

झारखंड के मौजूदा मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने 23 दिसम्बर को अपने पद से इस्तीफा दिया. राज्य में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने लायक प्रयाप्त सीटें नहीं मिल पाने के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया. राज्‍यपाल ने नयी सरकार के गठन तक उन्‍हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है. झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 05 जनवरी 2020 को समाप्‍त हो रहा है.

दिल्‍ली सरकार ने ‘इलेक्ट्रिक व्‍हीकल पॉलिसी 2019’ को मंजूरी दी

दिल्‍ली सरकार ने 23 दिसम्बर को ‘इलेक्ट्रिक व्‍हीकल नीति’ (Delhi Electric Vehicle Policy) 2019 को मंजूरी दी. राज्य में वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से इस नीति को मंजूरी दी गयी है. इस नीति को लागू करने के लिए एक इलेक्टिक वाहन बोर्ड का गठन किया जाएगा.
इस नीति के तहत सरकार ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देगी. इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि 2024 तक पंजीकृत होने वाले 25% नए वाहन इलेक्ट्रिक वाहन हों.
ई-वाहन नीति का पहला मसौदा नवंबर 2018 में सार्वजनिक किया गया था. यह नीति संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, अंतर्राष्ट्रीय परिवहन परिषद, स्वच्छ परिवहन, निकाय जैसे कई विशेषज्ञ निकायों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद बनाई गई है.

भारत-ईरान संयुक्त आयोग की 19वीं बैठक तेहरान में आयोजित की गयी

भारत-ईरान संयुक्त आयोग की 19वीं बैठक ईरान की राजधानी तेहरान में आयोजित की गयी. ईरान की यात्रा पर गये भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ ने इस बैठक की संयुक्त अध्यक्षता की.
बैठक में दोनों नेताओं ने चाबहार बंदरगाह, के चालू करने में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने माना कि यह बंदरगाह भारत और ईरान, अफगानिस्तान, मध्य एशिया तथा यूरोप के बीच व्यापार संबंधों तथा सम्पर्कों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान से निर्यात को बढ़ावा देने में इस बंदरगाह के योगदान को स्वीकार किया.
भारत और ईरान ने आतंकवाद के खतरों पर गहरी चिंता व्यक्त की और आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाहों को सभी तरह की मदद बंद करने का आह्वान किया. दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों का समर्थन किया.

24 दिसम्बर: राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 दिसम्बर को ‘राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस’ (National Consumer Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्‍य उपभोक्‍ता आन्‍दोलन के महत्‍व और उपभोक्‍ताओं के अधिकारों तथा दायित्‍वों के बारे में जागरूक करना है.
इस वर्ष यानी 2019 में ‘राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस’ का विषय (थीम) ‘उपभोक्ता शिकायत और विवाद के समाधान की वैकल्पिक प्रणाली’ है.
भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्‍ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था. इसके अतिरिक्‍त 15 मार्च को प्रत्‍येक वर्ष विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक-2019

संसद ने 2019 में एक महत्‍वपूर्ण उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक-2019 को अपनी मंजूरी दी थी. इस मंजूरी के बाद यह विधेयक अब अधिनियम बन चुका है जो उपभोक्‍ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए एक ‘केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण’ (CCPA) की स्‍थापना करता है.
नया अधिनियम तीन दशक से अधिक पुराने ‘उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986’ की जगह लिया है. CCPA अनुचित व्‍यापार तरीकों से उपभोक्‍ताओं को होने वाली परेशानियों को रोकने के लिए काम करेगा. यह उत्‍पादों की वापसी और पैसा वापस दिलाने के लिए भी कार्रवाई कर सकता है.

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