स्वीडन नरेश कार्ल गुस्ताफ ने भारत यात्रा की, दोनों देशों के बीच तीन समझौतों हुए
स्वीडन नरेश कार्ल गुस्ताफ और महारानी सिल्विया 2 से 6 दिसम्बर तक भारत की यात्रा पर थे. स्वीडन नरेश की यह तीसरी भारत यात्रा थी.
दोनों देशों के बीच तीन समझौते
इस यात्रा के क्रम में स्वीडन नरेश कार्ल गुस्ताफ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर व्यापक विचार-विमर्श किया था. इनमें व्यापार और निवेश, नवाचार और संस्कृति के क्षेत्र शामिल थे. इस अवसर पर दोनों देशों के बीच ध्रुवीय अनुसंधान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा समुद्री क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.
भारत और स्वीडन व्यापारिक संबंध
स्वीडन नरेश ने इस यात्रा के दौरान भारतीय कंपनियों के साथ समझौतों के लिए उच्च स्तरीय व्यापार शिष्टमंडल का नेतृत्व किया. यह शिष्टमंडल दिल्ली और मुंबई में भारतीय उद्योगपतियों के साथ बैठकों में हिस्सा लिया.
पिछले कुछ वर्षों में भारत और स्वीडन के बीच संबंधों में बढ़ोतरी हुई है. भारत और स्वीडन के बीच 337 करोड़ डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है. दोनों देशों के बीच कुल निवेश लगभग 250 करोड डॉलर का है. भारत और स्वीडन के मैत्री संबंध लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हैं.
2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्टॉकहोम (स्वीडन की राजधानी) यात्रा के दौरान संयुक्त कार्य योजना और स्थिर भविष्य के लिए स्वीडन-भारत नवाचार भागीदारी घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे.
भारत-स्वीडन कारोबार सम्मेलन
भारत-स्वीडन कारोबार सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने स्वीडन की कंपनियों को भारत की आधारभूत विकास योजनाओं मे निवेश के लिए आमंत्रित किया. वित्त मंत्री ने स्वीडन के व्यापार, उद्योग तथा नवाचार मंत्री इब्राहिम बेलान के साथ व्यापार और कारोबार के बारे में भी विचार-विमर्श किया.
मैड्रिड में अन्तर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन ‘COP 25’ आयोजित किया जा रहा है
स्पेन के मैड्रिड में 2 से 13 दिसम्बर तक संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन ‘COP 25’ (UN Climate Change Conference- UNFCCC COP 25) आयोजित किया जा रहा है. यह सम्मेलन चिली की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
दुनिया भर में, तापमान में वृद्धि, जंगलों में आग, बाढ़, सूखा आदि की बढती घटना को मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग से जोड़ा जा रहा है, जो इस सम्मेलन के वार्ता का मुख्य हिस्सा है.
इस सम्मेलन में संबंधित पक्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन पर काबू पाने के लिए 2020 से आगे की योजना की रूपरेखा पर विचार किया जा रहा है. जलवायु वार्ता में शामिल पार्टियां COP25 सम्मेलन के अंत तक कार्बन उत्सर्जन से संबंधित मुद्दों को हल करने की उम्मीद कर रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संबोधन
सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव अन्तोनियो गुतरश गुतरेस ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए विश्व में किए जा रहे प्रयास अपर्याप्त हैं. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से धरती का तापमान बढने का खतरा काफी बढ़ गया है. महासचिव ने कहा कि धरती का तापमान बढ़ने और मौसम पर इसके तीव्र प्रभाव का असर दुनिया-भर में महसूस किया जा रहा है.
वैज्ञानिकों ने अनुत्क्रमणीय परिवर्तन की चेतावनी जारी की
COP25 सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने जलवायु पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर ‘अनुत्क्रमणीय परिवर्तन’ की चेतावनी जारी की है. “वर्ल्ड साइंटिस्ट्स वार्निंग ऑफ ए क्लाइमेट इमरजेंसी” के सह-लेखक, विलियम मूमाव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक प्रतिबद्धताएं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रिवर्स करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
मोओमा द्वारा सह-लिखित एक अध्ययन जो नवंबर में बायोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली ‘अनकही पीड़ा’ की चेतावनी दी थी. इस अध्ययन का समर्थन 11,000 वैज्ञानिकों ने किया था.
भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कर रहे हैं
भारत रचनात्मक और सकारात्मक परिप्रेक्ष्य के साथ इस सम्मेलन में भाग ले रहा है. सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व वन, पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कर रहे हैं. सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि भारत मैड्रिड जलवायु सम्मेलन में अपने दीर्घावधि विकास हितों की सुरक्षा के काम करेगा.
पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत द्वारा उठाये गये मुख्य कदम
भारत पिछले चार वर्ष में जलवायु परितर्वन से निपटने के कार्य करने में अग्रणी रहा है. देश के चार सौ पचास गीगावाट के महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है. यह इस क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है.
भारत विश्व के कुछ ऐसे देशों में शामिल है, जहां वन क्षेत्र बढ़ा है. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठजोड़ और आपदा अनुकूल बुनियादी ढांचे के लिए गठजोड़ का सबसे पहले प्रस्ताव कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
पाइका विद्रोह के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक की आधार शिला रखी गयी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 दिसम्बर कलो ओडि़सा में पाइका विद्रोह के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक की आधारशिला रखी. प्रस्तावित स्मारक खुर्दा जिले की बारूनेई पहाड़ी पर बनाया जायेगा. यह उडि़या लोगों के शौर्य और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा का प्रतीक होगा. वर्ष 1817 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पाइका विद्रोह को प्राय: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी माना जाता है.
पाइका विद्रोह: मुख्य तथ्यों पर एक दृष्टि
- ओडिशा के गजपति शासकों के तहत आने वाले किसानों की सेना ‘पाइका’ ने 1817 में ब्रिटिशों के शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध विद्रोह किया था जिसे पाइका विद्रोह के नाम से जाना जाता है. पाइका ने औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ तब विद्रोह कर दिया जब उन्होंने उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की.
- पाइका विद्रोह बक्शी जगबंधु विद्याधर के नेतृत्व में लड़ा गया था. यह एक सशस्त्र, व्यापक आधार वाला और संगठित विद्रोह था. पाइका उड़ीसा की एक पारंपरिक भूमिगत रक्षक सेना थी. बक्शी जगबंधु को अंतत: 1825 में गिरफ्तार कर लिया गया और कैद में रहते हुए ही 1829 में उनकी मृत्यु हो गई.
पाइका विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्ज़ा देने की घोषणा
- सरकार ने पाइका विद्रोह को ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ के रूप में मान्यता देने की हाल ही में घोषणा की है. 1857 का स्वाधीनता संग्राम को अब तक देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता था.
- पाइका विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम् भूमिका निभाई थी. यह विद्रोह किसी भी मायने में एक वर्ग विशेष के लोगों के छोटे समूह का विद्रोह भर नहीं था. दुर्भाग्य से इस विद्रोह को राष्ट्रीय स्तर पर वैसा महत्त्व नहीं मिला है जैसा कि मिलना चाहिये था.