Hindi Quiz

IBPS RRB के लिए आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हम आपके लिए हिंदी की प्रश्नोतरी लाये है. अपनी तैयारी को तेज करते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये...




Directions (1-5) निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रश्न में एक हिंदी शब्द दिया गया है, उसके लिए एक अंग्रेजी शब्द का चयन कीजिए, जो अर्थ की दृष्टि से हिंदी शब्द का पर्याय है। 

Q1. ‘शाश्वत’

Implication
Essential
Perpetual
Leniency
इनमें से कोई नहीं
Solution:
‘शाश्वत’ का अंग्रेजी रूप ‘Perpetual’ है।

Q2. ‘गठबंधन’
Impenitent
Presumptuous
segregation
Coalition
इनमें से कोई नहीं
Solution:
‘गठबंधन’ का अंग्रेजी रूप ‘Coalition’ है।

Q3. ‘कार्यान्वयन’
Acerbity
Degenerate
Implementation
corroborate
इनमें से कोई नहीं
Solution:
‘कार्यान्वयन’ का अंग्रेजी रूप ‘Implementation’ है।

Q4. ‘अप्रवासी’
Impersonation
Immigrant
Impertinent
Impetuous
इनमें से कोई नहीं
Solution:
‘अप्रवासी’ का अंग्रेजी रूप ‘Immigrant’ है।

Q5. ‘क्रोध’
Ad-hoc
Blockade
defacto
Wrath
इनमें से कोई नहीं
Solution:
‘क्रोध’ का अंग्रेजी रूप ‘Wrath’ है।

Directions (6 - 10): नीचे दिए गए प्रत्येक परिच्छेद में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए गए हैं तथा उन्हें प्रश्न संख्या से दर्शाया गया है। ये संख्याएँ परिच्छेद के नीचे मुद्रित हैं, और प्रत्येक के सामने (a), (b), (c), (d) और (e) विकल्प दिए गए हैं। इन पाँचों में से कोई एक इस रिक्त स्थान को पूरे परिच्छेद के संदर्भ में उपयुक्त ढंग से पूरा कर देता है। आपको उस विकल्प का चयन करना है और उसका क्रमांक ही उत्तर के रूप में दर्शाना है। आपको दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन करना है। 

Q6. महिलाओं के शोषण का एक प्रतीक दहेज प्रथा भारत की उन समाजिक ..(06).. में से एक है जो आज भी बदस्तूर जारी है । दहेज प्रथा की शुरूआत भारत में ब्रिटिश शासनकाल के पहले हुई थी। ये प्रथा उस समय दरअसल एक कुरीति के रूप में नहीं थी। उस समय पिता विवाह के समय पुत्री को उपहार स्वरूप कुछ धन या भूमि दान में देता था। इस भूमि या धन पर सिर्फ उसकी पुत्री का हक होता था। इस संपदा के जरिए वो महिला स्वावलंबी भी होती थी और परिवार का भरण-पोषण भी करती थी। आज भी समाज में महिला या पुरूष को हीन दृष्टि से देखा जाता है, जिसका विवाह नहीं होता। विवाह की सामाजिक अनिवार्यता समाज में बहुत सारी ...(07)... को जन्म देती है जिनमें दहेज प्रथा एक है। ये बात भारतीय माता पिताओं के मन में बैठी हुई है कि पुत्री का विवाह ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। वो इसके लिए पुत्री के बचपन से ही तैयारियाँ प्रारंभ कर देते हैं। वो ये नहीं सोचते कि पुत्री को शिक्षा दिला देने से और उसे स्वावलंबी बना देने से उसका ...(08)... होगा। अगर पुत्री अपने पैरों पर खड़ी होगी तो वो ज्यादा मजबूती के साथ उसके लिए वर का चयन कर सकते हैं। अपने पूरे जीवन के फैसले लेने की ताकत भी उनकी पुत्री की खुद की होगी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता। अधिकतर मामलों में माता पिता पूरे जीवन पुत्री की शादी करने की सोच में पड़े रहते हैं। फिर परम्पराएं ऊपर हैं तो दहेज देना भी है और नतीजा ये होता है कि पुत्री को जिंदगी भर के लिए किसी अंजान पुरूष के हाथों में सौंपकर वो खुद को निवृत्त मान लेते हैं। आज के दौर में हम आर्थिक महत्व को ...(09)... नहीं सकते । पुत्री या पत्नी के पास न तो जमीन है और न ही इतनी शिक्षा दिक्षा है कि वो खुद कुछ जीविका उत्पन्न कर सके। माता पिता पहले से ही सब कुछ दे चुके हैं। ऐसे में महिला के सामने वही स्थिति होती है जो हो रहा है उसे बर्दाशत करे और शांति से रहे और इन सबके बीच ...(10)... न टूटे जैसे अन्य सामाजिक दबाब भी उसी महिला को झेलने पड़ते हैं।

आकांशाओं
सद्भावनाओं
अच्छाइयों
कुरीतियों
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ पर ‘कुरीतियों’ शब्द का प्रयोग उचित है, कुरीति का अर्थ है – समाज या व्यक्ति को हानि पहुँचाने वाली अनुचित रीति, कुप्रथा, निंदनीय प्रथा। दहेज प्रथा एक कुरीति में रूप में समाज में अवस्थित है।

Q7. महिलाओं के शोषण का एक प्रतीक दहेज प्रथा भारत की उन समाजिक ..(06).. में से एक है जो आज भी बदस्तूर जारी है । दहेज प्रथा की शुरूआत भारत में ब्रिटिश शासनकाल के पहले हुई थी। ये प्रथा उस समय दरअसल एक कुरीति के रूप में नहीं थी। उस समय पिता विवाह के समय पुत्री को उपहार स्वरूप कुछ धन या भूमि दान में देता था। इस भूमि या धन पर सिर्फ उसकी पुत्री का हक होता था। इस संपदा के जरिए वो महिला स्वावलंबी भी होती थी और परिवार का भरण-पोषण भी करती थी। आज भी समाज में महिला या पुरूष को हीन दृष्टि से देखा जाता है, जिसका विवाह नहीं होता। विवाह की सामाजिक अनिवार्यता समाज में बहुत सारी ...(07)... को जन्म देती है जिनमें दहेज प्रथा एक है। ये बात भारतीय माता पिताओं के मन में बैठी हुई है कि पुत्री का विवाह ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। वो इसके लिए पुत्री के बचपन से ही तैयारियाँ प्रारंभ कर देते हैं। वो ये नहीं सोचते कि पुत्री को शिक्षा दिला देने से और उसे स्वावलंबी बना देने से उसका ...(08)... होगा। अगर पुत्री अपने पैरों पर खड़ी होगी तो वो ज्यादा मजबूती के साथ उसके लिए वर का चयन कर सकते हैं। अपने पूरे जीवन के फैसले लेने की ताकत भी उनकी पुत्री की खुद की होगी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता। अधिकतर मामलों में माता पिता पूरे जीवन पुत्री की शादी करने की सोच में पड़े रहते हैं। फिर परम्पराएं ऊपर हैं तो दहेज देना भी है और नतीजा ये होता है कि पुत्री को जिंदगी भर के लिए किसी अंजान पुरूष के हाथों में सौंपकर वो खुद को निवृत्त मान लेते हैं। आज के दौर में हम आर्थिक महत्व को ...(09)... नहीं सकते । पुत्री या पत्नी के पास न तो जमीन है और न ही इतनी शिक्षा दिक्षा है कि वो खुद कुछ जीविका उत्पन्न कर सके। माता पिता पहले से ही सब कुछ दे चुके हैं। ऐसे में महिला के सामने वही स्थिति होती है जो हो रहा है उसे बर्दाशत करे और शांति से रहे और इन सबके बीच ...(10)... न टूटे जैसे अन्य सामाजिक दबाब भी उसी महिला को झेलने पड़ते हैं।
समस्याओं
व्यथाओं
अवमाननाओं
परिस्थितीयों
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘समस्याओं’ शब्द का प्रयोग उचित है, क्योंकि समाज में विवाह की अनिवार्यता कई सारी समस्याओं को जन्म देती हैं।

Q8. महिलाओं के शोषण का एक प्रतीक दहेज प्रथा भारत की उन समाजिक ..(06).. में से एक है जो आज भी बदस्तूर जारी है । दहेज प्रथा की शुरूआत भारत में ब्रिटिश शासनकाल के पहले हुई थी। ये प्रथा उस समय दरअसल एक कुरीति के रूप में नहीं थी। उस समय पिता विवाह के समय पुत्री को उपहार स्वरूप कुछ धन या भूमि दान में देता था। इस भूमि या धन पर सिर्फ उसकी पुत्री का हक होता था। इस संपदा के जरिए वो महिला स्वावलंबी भी होती थी और परिवार का भरण-पोषण भी करती थी। आज भी समाज में महिला या पुरूष को हीन दृष्टि से देखा जाता है, जिसका विवाह नहीं होता। विवाह की सामाजिक अनिवार्यता समाज में बहुत सारी ...(07)... को जन्म देती है जिनमें दहेज प्रथा एक है। ये बात भारतीय माता पिताओं के मन में बैठी हुई है कि पुत्री का विवाह ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। वो इसके लिए पुत्री के बचपन से ही तैयारियाँ प्रारंभ कर देते हैं। वो ये नहीं सोचते कि पुत्री को शिक्षा दिला देने से और उसे स्वावलंबी बना देने से उसका ...(08)... होगा। अगर पुत्री अपने पैरों पर खड़ी होगी तो वो ज्यादा मजबूती के साथ उसके लिए वर का चयन कर सकते हैं। अपने पूरे जीवन के फैसले लेने की ताकत भी उनकी पुत्री की खुद की होगी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता। अधिकतर मामलों में माता पिता पूरे जीवन पुत्री की शादी करने की सोच में पड़े रहते हैं। फिर परम्पराएं ऊपर हैं तो दहेज देना भी है और नतीजा ये होता है कि पुत्री को जिंदगी भर के लिए किसी अंजान पुरूष के हाथों में सौंपकर वो खुद को निवृत्त मान लेते हैं। आज के दौर में हम आर्थिक महत्व को ...(09)... नहीं सकते । पुत्री या पत्नी के पास न तो जमीन है और न ही इतनी शिक्षा दिक्षा है कि वो खुद कुछ जीविका उत्पन्न कर सके। माता पिता पहले से ही सब कुछ दे चुके हैं। ऐसे में महिला के सामने वही स्थिति होती है जो हो रहा है उसे बर्दाशत करे और शांति से रहे और इन सबके बीच ...(10)... न टूटे जैसे अन्य सामाजिक दबाब भी उसी महिला को झेलने पड़ते हैं।
परिचय
कल्याण
बुरा
परिष्कार
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘कल्याण’ शब्द का प्रयोग उचित है, क्योंकि माता-पिता पुत्री को अच्छी शिक्षा देकर उसका कल्याण कर सकते हैं।

Q9. महिलाओं के शोषण का एक प्रतीक दहेज प्रथा भारत की उन समाजिक ..(06).. में से एक है जो आज भी बदस्तूर जारी है । दहेज प्रथा की शुरूआत भारत में ब्रिटिश शासनकाल के पहले हुई थी। ये प्रथा उस समय दरअसल एक कुरीति के रूप में नहीं थी। उस समय पिता विवाह के समय पुत्री को उपहार स्वरूप कुछ धन या भूमि दान में देता था। इस भूमि या धन पर सिर्फ उसकी पुत्री का हक होता था। इस संपदा के जरिए वो महिला स्वावलंबी भी होती थी और परिवार का भरण-पोषण भी करती थी। आज भी समाज में महिला या पुरूष को हीन दृष्टि से देखा जाता है, जिसका विवाह नहीं होता। विवाह की सामाजिक अनिवार्यता समाज में बहुत सारी ...(07)... को जन्म देती है जिनमें दहेज प्रथा एक है। ये बात भारतीय माता पिताओं के मन में बैठी हुई है कि पुत्री का विवाह ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। वो इसके लिए पुत्री के बचपन से ही तैयारियाँ प्रारंभ कर देते हैं। वो ये नहीं सोचते कि पुत्री को शिक्षा दिला देने से और उसे स्वावलंबी बना देने से उसका ...(08)... होगा। अगर पुत्री अपने पैरों पर खड़ी होगी तो वो ज्यादा मजबूती के साथ उसके लिए वर का चयन कर सकते हैं। अपने पूरे जीवन के फैसले लेने की ताकत भी उनकी पुत्री की खुद की होगी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता। अधिकतर मामलों में माता पिता पूरे जीवन पुत्री की शादी करने की सोच में पड़े रहते हैं। फिर परम्पराएं ऊपर हैं तो दहेज देना भी है और नतीजा ये होता है कि पुत्री को जिंदगी भर के लिए किसी अंजान पुरूष के हाथों में सौंपकर वो खुद को निवृत्त मान लेते हैं। आज के दौर में हम आर्थिक महत्व को ...(09)... नहीं सकते । पुत्री या पत्नी के पास न तो जमीन है और न ही इतनी शिक्षा दिक्षा है कि वो खुद कुछ जीविका उत्पन्न कर सके। माता पिता पहले से ही सब कुछ दे चुके हैं। ऐसे में महिला के सामने वही स्थिति होती है जो हो रहा है उसे बर्दाशत करे और शांति से रहे और इन सबके बीच ...(10)... न टूटे जैसे अन्य सामाजिक दबाब भी उसी महिला को झेलने पड़ते हैं।
नकार
पाल
अनदेखा
मान
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘नकार’ शब्द का प्रयोग उचित है, क्योंकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम आर्थिक महत्व को नकार नहीं सकते।

Q10. महिलाओं के शोषण का एक प्रतीक दहेज प्रथा भारत की उन समाजिक ..(06).. में से एक है जो आज भी बदस्तूर जारी है । दहेज प्रथा की शुरूआत भारत में ब्रिटिश शासनकाल के पहले हुई थी। ये प्रथा उस समय दरअसल एक कुरीति के रूप में नहीं थी। उस समय पिता विवाह के समय पुत्री को उपहार स्वरूप कुछ धन या भूमि दान में देता था। इस भूमि या धन पर सिर्फ उसकी पुत्री का हक होता था। इस संपदा के जरिए वो महिला स्वावलंबी भी होती थी और परिवार का भरण-पोषण भी करती थी। आज भी समाज में महिला या पुरूष को हीन दृष्टि से देखा जाता है, जिसका विवाह नहीं होता। विवाह की सामाजिक अनिवार्यता समाज में बहुत सारी ...(07)... को जन्म देती है जिनमें दहेज प्रथा एक है। ये बात भारतीय माता पिताओं के मन में बैठी हुई है कि पुत्री का विवाह ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। वो इसके लिए पुत्री के बचपन से ही तैयारियाँ प्रारंभ कर देते हैं। वो ये नहीं सोचते कि पुत्री को शिक्षा दिला देने से और उसे स्वावलंबी बना देने से उसका ...(08)... होगा। अगर पुत्री अपने पैरों पर खड़ी होगी तो वो ज्यादा मजबूती के साथ उसके लिए वर का चयन कर सकते हैं। अपने पूरे जीवन के फैसले लेने की ताकत भी उनकी पुत्री की खुद की होगी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता। अधिकतर मामलों में माता पिता पूरे जीवन पुत्री की शादी करने की सोच में पड़े रहते हैं। फिर परम्पराएं ऊपर हैं तो दहेज देना भी है और नतीजा ये होता है कि पुत्री को जिंदगी भर के लिए किसी अंजान पुरूष के हाथों में सौंपकर वो खुद को निवृत्त मान लेते हैं। आज के दौर में हम आर्थिक महत्व को ...(09)... नहीं सकते । पुत्री या पत्नी के पास न तो जमीन है और न ही इतनी शिक्षा दिक्षा है कि वो खुद कुछ जीविका उत्पन्न कर सके। माता पिता पहले से ही सब कुछ दे चुके हैं। ऐसे में महिला के सामने वही स्थिति होती है जो हो रहा है उसे बर्दाशत करे और शांति से रहे और इन सबके बीच ...(10)... न टूटे जैसे अन्य सामाजिक दबाब भी उसी महिला को झेलने पड़ते हैं।
समाज
समूह
परिवार
घर
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘परिवार’ शब्द का प्रयोग उचित है, क्योंकि अनेक विषम परिस्थितियों में महिलाओं पर परिवार न टूटने का दबाव बनाया जाता है।

Directions (11-15) निम्नलिखित प्रश्न राजभाषा हिंदी एवं उसकी संवैधानिक स्थिति से संबंधित हैं, प्रत्येक प्रश्न के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए। 

Q11. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अभी तक कुल कितनी भाषाएँ सम्मिलित हैं?

18 भाषाएँ
20 भाषाएँ
22 भाषाएँ
23 भाषाएँ
इनमें से कोई नहीं
Solution:
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अभी तक कुल 22 भाषाएँ सम्मिलित हैं।

Q12. निम्नलिखित में से किस भाषा की लिपि देवनागरी नहीं है?
मराठी
बंगाली
नेपाली
डोगरी
इनमें से कोई नहीं
Solution:
बंगाली भाषा की लिपि ‘बांग्ला’ है। अन्य सभी भाषाओं की लिपि देवनागरी है।

Q13. राजभाषा संबंधी संवैधानिक उपबंधों में, प्रादेशिक भाषाओँ से सम्बंधित उपबंध किन अनुच्छेदों में हैं?
अनुच्छेद 343-344
अनुच्छेद 345-347
अनुच्छेद 348-349
अनुच्छेद 350-351
इनमें से कोई नहीं
Solution:
राजभाषा संबंधी संवैधानिक उपबंधों में, प्रादेशिक भाषाओँ से सम्बंधित उपबंध 345 से 347 अनुच्छेदों में हैं।

Q14. राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 6 व 7 किस राज्य में लागू नहीं होती?
हिमाचल प्रदेश
पश्चिम बंगाल
जम्मू -कश्मीर
तमिलनाडु
इनमें से कोई नहीं
Solution:
राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 6 व 7 जम्मू-कश्मीर राज्य में लागू नहीं होती है।

Q15. राजभाषा की संसदीय समिति में लोकसभा के कितने सदस्य होते हैं?
15
20
25
30
इनमें से कोई नहीं
Solution:
राजभाषा संसदीय समिति में संसद के 30 सदस्य होने का प्रावधान है, जिसमे से 20 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से होते हैं।



Ⓒ 2019. JMS Classes Raisinghnagar
✆ 9667070111

Designed By : Satnam Gill