Hindi Quiz

IBPS RRB के लिए आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हम आपके लिए हिंदी की प्रश्नोतरी लाये है. अपनी तैयारी को तेज करते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये...




Directions (1-10): नीचे दिए गए प्रत्येक परिच्छेद में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए गए हैं तथा उन्हें प्रश्न संख्या से दर्शाया गया है। ये संख्याएँ परिच्छेद के नीचे मुद्रित हैं, और प्रत्येक के सामने (A), (B), (C), (D) और (E) विकल्प दिए गए हैं। इन पाँचों में से कोई एक इस रिक्त स्थान को पूरे परिच्छेद के संदर्भ में उपयुक्त ढंग से पूरा कर देता है। आपको वह विकल्प ज्ञात करना है और उसका क्रमांक ही उत्तर के रूप में दर्शाना है। आपको दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन करना है। 

Q1. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।

भयभीत
प्रोत्साहित
स्थिर
चिंतित
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘भयभीत’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q2. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
आश्चर्य
दुःख
खेद
असमंजस
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘दुःख’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q3. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
प्रेम
वरदान
त्याग
प्रसन्नता
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘त्याग’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q4. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
कमी
बंदिश
स्थिरता
बाधा
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘बाधा’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q5. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
नष्ट
अधिक
उद्वेलित
विकसित
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘नष्ट’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q6. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
लक्ष्य
उद्योगों
परिवेश
विरोधों
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘उद्योगों’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q7. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
पुराना
धूमिल
संबंधित
ज्वलन्त
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘ज्वलन्त’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q8. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
आदर
स्थान
निंदा
आकर्षण
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘आदर’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q9. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
राजी
स्वतंत्र
प्रतिबद्ध
बाध्य
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘बाध्य’ शब्द का प्रयोग उचित है।

Q10. क्रान्ति का नाम ही बड़ा भयंकर है। प्रत्येक प्रकार की क्रान्ति विपक्षियों को (1) कर देती है। जहाँ पर रात्रि होती है तो दिन का आगमन जान निशिचरों को (2) होता है। ठंडे जलवायु में रहने वाले पशु-पक्षी गरमी के आने पर उस देश को भी (3) देते हैं। फिर राजनैतिक क्रान्ति तो बड़ी भयावनी होती है। मनुष्य अभ्यासों का समूह है। अभ्यासों के अनुसार ही उसकी प्रकृति भी बन जाती है। उसके विपरीत जिस समय कोई बाधा उपस्थित होती है, तो उनको भय प्रतीत होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रत्येक सरकार के सहायक अमीर और जमींदार होते हैं। ये लोग कभी नहीं चाहते कि उनके ऐशो आराम में किसी प्रकार की (4) पड़े। इसलिये वे हमेशा क्रान्तिकारी आन्दोलन को (5) करने का प्रयत्‍न करते हैं। यदि किसी प्रकार दूसरे देशों की सहायता लेकर, समय पाकर क्रान्तिकारी दल क्रान्ति के (6) में सफल हो जाये, देश में क्रान्ति हो जाए तो भी योग्य नेता न होने से अराजकता फैलकर व्यर्थ की नरहत्या होती है, और उस प्रयत्‍न में अनेकों सुयोग्य वीरों तथा विद्वानों का नाश हो जाता है। इसका (7) उदाहरण सन् 1857 ई० का गदर है। यदि फ्रांस तथा अमरीका की भाँति क्रान्ति द्वारा राजतन्त्र को पलट कर प्रजातंत्र स्थापित भी कर लिया जाये तो बड़े-बड़े धनी पुरुष अपने धन, बल से सब प्रकार के अधिकारियों को दबा बैठते हैं। कार्यकारिणी समितियों में बड़े-बड़े अधिकार धनियों को प्राप्‍त हो जाते हैं। देश के शासन में धनियों का मत ही उच्च (8) पाता है। धन बल से देश के समाचार पत्रों, कल कारखानों तथा खानों पर उनका ही अधिकार हो जाता है। मजबूरन जनता की अधिक संख्या धनिकों का समर्थन करने को (9) हो जाती है। जो दिमाग वाले होते हैं, वे भी समय पाकर बुद्दिबल से जनता की खरी कमाई से प्राप्‍त किए अधिकारों को हड़प कर बैठते हैं। स्वार्थ के वशीभूत होकर वे श्रमजीवियों तथा कृषकों को (10) का अवसर नहीं देते। अन्त में ये लोग भी धनिकों के पक्षपाती होकर राजतन्त्र के स्थान में धनिकतन्‍त्र की ही स्थापना करते हैं।
अवनति
स्थायित्व
उन्नति
निर्णय
इनमें से कोई नहीं
Solution:
यहाँ ‘उन्नति’ शब्द क&#2366#2366; प्रयोग उचित है।

Directions (11-15) नीचे दिया गया प्रत्येक वाक्य चार भागों में बांटा गया है जिन्हें (A), (B), (C), (D) विकल्प दिए गए हैं। आपको यह देखना है कि वाक्य के किसी भाग में व्याकरण, भाषा, वर्तनी, शब्दों के गलत प्रयोग या इसी तरह की कोई त्रुटी तो नहीं है। त्रुटी अगर होगी तो वाक्य के किसी एक भाग में ही होगी। उस भाग का क्रमांक ही उत्तर है। यदि वाक्य त्रुटीरहित है तो उत्तर (E) अर्थात ‘त्रुटीरहित’ दीजिए। 

Q11. जिस दिन (A)/ मैं उससे मिला (B)/ उस दिन उसके पास (C)/ केवल पचास रुपया था।(D)/ त्रुटीरहित (E)

A
B
C
D
त्रुटीरहित
Solution:
यहाँ ‘केवल पचास रुपया था’ के स्थान पर ‘केवल पचास रुपये थे’ का प्रयोग उचित है।

Q12. शीर्षक को चयन (A)/ करते समय अनुच्छेद में निहित (B)/ भावों और विचारों की (C)/ परख कर लेनी चाहिए।(D) / त्रुटीरहित (E)
A
B
C
D
त्रुटीरहित
Solution:
यहाँ ‘शीर्षक को चयन’ के स्थान पर ‘शीर्षक का चयन’ का प्रयोग उचित है।

Q13. कक्षा के सभी लड़के (A)/ गुरूजी की (B)/ मन से (C)/ श्रद्धा करते हैं। (D)/ त्रुटीरहित (E)
A
B
C
D
त्रुटीरहित
Solution:
यहाँ ‘श्रद्धा करते हैं’ के स्थान पर ‘इज्जत करते हैं’ का प्रयोग उचित है।

Q14. कोई भी (A)/ नहीं जानता (B)/ कि कल क्या (C)/ होने वाला है। (D)/ त्रुटीरहित (E)
A
B
C
D
त्रुटीरहित
Solution:
यहाँ ‘कोई भी’ के स्थान पर ‘कोई’ का प्रयोग उचित है।

Q15. व्यक्तित्व को मापने (A)/ के लिए किसी उचित (B)/ परीक्षण की उपयोगिता (C) करना आवश्यक है।(D)/ त्रुटीरहित है (E)
A
B
C
D
त्रुटीरहित
Solution:
यहाँ ‘परीक्षण की उपयोगिता’ के स्थान पर ‘परीक्षण का उपयोग’ का प्रयोग उचित है।



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