बांग्लादेश के पूर्व सैन्य तानाशाह हुसैन मोहम्मद इरशाद का निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। इरशाद का जन्म 1930 में कूचबिहार के उपमंडल दिनहाटा में हुआ था जो अब भारत के पश्चिम बंगाल में है।
उनके पिता मकबूल हुसैन और मां माजिदा खातून भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के एक साल बाद 1948 में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) आए गए थे। वह 1952 में पाकिस्तानी फौज में शामिल हुए थे, तब बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था।
पूर्व सेना प्रमुख इरशाद साल 1982 में तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति बने थे और आठ साल तक इस पद पर रहे। 1990 में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के बाद उन्हें पद छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था। इसके बाद, कई इल्जामों में इरशाद को जेल भेजा गया लेकिन वह 1990 के दशक में एक ताकतवर सियासी शख्सियत के रूप में उभरे तथा उनकी जातीय पार्टी तीसरा सबसे बड़ा दल बन गई ।
वह कई बार संसद के लिए निर्वाचित हुए। एक बार तो वह जेल से संसद के लिए निर्वाचित हुए थे। उनके शासनकाल में ही इस्लाम को आधिकारिक रूप से धर्मनिरपेक्षक बांग्लादेश का राजकीय मजहब बनाया गया था।