भारत सूखा, भूक्षरण और मरुस्थलीकरण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा

वैश्विक स्तर पर बंजर भूमि के बढ़ते विस्तार के कारण मरुस्थलीकरण की गहराती समस्या पर संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘कोप14’की मेजबानी भारत करेगा।


पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण पर पेरिस समझौते के पक्षकार देशों (कोप) की सहभागिता से आगामी दो से 13 सितंबर तक नोएडा में ‘कोप14’ सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में 197 देशों के प्रतिनिधि, विशेषज्ञ और सामाजिक संगठनों के लगभग 5000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।


उन्होंने बताया मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष इकाई (यूएनसीसीडी) के प्रमुख इब्राहिम चाओ के साथ बैठक में सम्मेलन की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया गया।


जावडेकर ने कहा कि सम्मेलन में जमीन के बंजर होने की गहराती समस्या के विभिन्न पहलुओं के अलावा मरुस्थलीकरण और सूखे की समस्या पर विचार विमर्श किया जायेगा। इसमें जलवायु परिवर्तन और मौसम संबंधी आपदा की घटनाओं के प्रभाव को भी इन तीनों समस्याओं से जोड़ते हुये विचार मंथन किया जायेगा।


सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि मिट्टी की गुणवत्ता की पहचान के लिये भारत में शुरु किये गये ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ के अब तक संग्रहित डाटा और इसके विश्लेषण पर भी मंथन होगा। उन्होंने बताया कि भारत में 60 प्रतिशत ऐसी जमीन है जिस पर खेती कर रहे किसानों को सिचाई के लिये बारिश पर आश्रित रहना पड़ता है। बारिश के असमान वितरण के कारण सूखाग्रस्त इलाकों का हो रहा विस्तार, मरुस्थलीकरण के संकट को बढ़ा रहा है। इस कारण से कोप14 बैठक का महत्व बढ़ जाता है।

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