द लैंसेट वैश्विक स्वास्थ्य आर्टिकल : चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2017 में वैश्विक स्तर पर 10 मिलियन नए तपेदिक (टीबी) मामले रिपोर्ट किए गए। इनमे 2.74 मिलियन मामले भारत से थे, लेकिन 2016 में ये आंकड़ा 2.79 मिलियन था जिसकी अपेक्षा मामूली कमी दर्ज की गई है।

भारत सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत "2025 तक टीबी को खत्म करने" का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
भारत में वर्ष 2017 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 204 टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है।
द लैंसेट वैश्विक स्वास्थ्य आर्टिकल (The Lancet Global Health article ) के अनुसार, भारत सहित तीन सर्वाधिक प्रभावित देशों में वर्ष 2015 के आँकड़ों के आधार पर टीबी मरीज़ों की संख्या में 2035 तक 57 % कमी तथा इससे होने वाली मृत्यु में 72 % की कमी की संभावना है।
टीबी क्या है?
टी.बी. जिसे हिंदी में क्षय रोग और मेडिकल भाषा में ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं एक बैक्टीरिया जनित रोग है। यह एक बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस द्वारा उत्पन्न संक्रमण है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। मगर इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं। क्षयरोग को कई नामों से जाना जाता है जैसे टी.बी. तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि।
कैसे रोका जाए
बीसीजी का टीका लगवाकर टीबी से बच सकते हैं। ये एक तरह का संक्रमित रोग है।
टीबी के मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए। ताकि सामने वाले का आपके छींकने या फिर खांसने से रोग न फैलें।
मरीज को जगह जगह नहीं बल्कि किसी एक पॉलिथीन में थूकना चाहिए।
मरीज को पब्लिक चीजों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। ताकि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसकी चपेट में न आए।
चुनौतियाँ
टीबी सेवाओं का प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकरण किया जाना जिससे उपचार में विलंब को रोका जा सके।
कुल टीबी मरीज़ों के 10 % की या तो उपचार से पूर्व ही मृत्यु को हो जाती है या उनका उपचार सही मेडिकल उपचार से पूर्व स्व उपचार के कारण विलंब से होता है। यहाँ तक कि प्राथमिक उपचार में भी 4.1 महीने तक का विलंब हो जाता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली
अगर तीन सप्‍ताह से ज्‍यादा खांसी हो तो नजदीक के सरकारी अस्‍पताल/ प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र , जहॉं बलगम की जॉंच होती है,  वहॉं बलगम के तीन नमूनों की निःशुल्‍क जॉंच करानी चाहिए।
बता दें टी.बी. की जॉंच और इलाज सभी सरकारी अस्‍पतालों में बिल्‍कुल मुफ्त किया जाता है।
उपचार अवधि 6 से 8 माह तक हो सकती है। नियमित और पूर्ण अवधि तक उपचार लेने पर ही टी.बी. से मुक्ति मिलती है।

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