प्रधानमंत्री ‘जी-वन योजना’

‘जी-वन योजना’ (Jaiv Indhan-Vatavaran Anukool Fasal Awashesh Nivaran Yojana: JI-VAN):
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA-Cabinet Committee on Economic Affairs)ने 28 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री जी-वन योजना को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री मोदी की
अध्यक्षता में हुई बैठक में जी-वन यानी जैव ईंधन वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण योजना को वित्तीय मदद देने के मंजूरी दी गई।
इसके तहत ऐसी एकीकृत बायो-इथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय मदद प्रदान करने का प्रावधान है जो लिग्नोसेल्यूलॉज़िक बायोमास (Lignocellulosic Biomass) और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक (Feedstock) का इस्तेमाल करती हैं।
लिग्नोसेल्यूलॉज़िक बायोमास (LC biomass) – यह बायोमास सेल्यूलोज़ (Cellulose), हेमिसेल्यूलोज़ (Hemicelluloses) और लिग्निन (Lignin) से बना होता है।
इस योजना में कुल 1969.50 करोड़ रुपए की मंज़ूरी प्रदान की गई है। यह राशि 2018-19 से लेकर 2023-24 की अवधि तक मंजूर की गई है.

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इथेनॉल की कीमत ज़्यादा रखने और इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद 2017-18 के दौरान 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की खरीद ही प्राप्त की जा सकी जो कि देशभर में पेट्रोल में इथेनॉल के मात्र 4.22 प्रतिशत मिश्रण के लिये पर्याप्त है। भारत सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम 2003 में लागू किया था। इसके ज़रिये पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण कर पर्यावरण को जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाना तथा कच्चे तेल के आयात को कम कर विदेशी मुद्रा बचाना है। 


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